Operation Trishul: पश्चिमी राजस्थान के मरुस्थल से लेकर गुजरात के सर क्रीक तक भारत-पाक सीमा पर एक भव्य सैन्य अभ्यास ‘ऑपरेशन त्रिशूल’ की शुरुआत 30 अक्टूबर से हो गई है। यह अभ्यास 13 दिन तक चलेगा और 10 नवंबर को समाप्त होगा। इसे भारत की तीनों सेनाओं, थलसेना, वायुसेना और नौसेना के संयुक्त प्रयास से आयोजित किया गया है। इस अभ्यास का उद्देश्य न केवल युद्ध-कौशल का प्रदर्शन है, बल्कि भारत की आत्मनिर्भरता और वास्तविक ऑपरेशन क्षमता को भी प्रदर्शित करना है।
तीनों सेनाओं के जवान एक साथ मैदान में
ऑपरेशन त्रिशूल अब तक का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास माना जा रहा है। इसमें तीनों सेनाओं के करीब 30 हजार जवान भाग ले रहे हैं। इस अभ्यास में यूनिफाइड ऑपरेशन, डीप स्ट्राइक और मल्टी-डोमेन वॉरफेयर के तत्वों को शामिल किया गया है। यह अभ्यास दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखने और वास्तविक युद्ध परिस्थितियों में निर्णय लेने की क्षमता को परखने का भी माध्यम है।
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अभ्यास के दौरान किए जाएंगे विविध अभियान
इस युद्धाभ्यास में विभिन्न प्रकार के अभियान शामिल हैं। क्रीक और रेगिस्तानी क्षेत्रों में आक्रामक अभियानों (Offensive Manoeuvres) का आयोजन होगा। सौराष्ट्र तट के पास उभयचर अभियानों (Amphibious Operations) का अभ्यास किया जाएगा। इसके अलावा, इंटेलिजेंस, सर्विलांस, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर और साइबर क्षमताओं से जुड़े बहु-डोमेन अभियानों (Multi-Domain Operations) का भी प्रशिक्षण होगा।
तीन फेज में आयोजित होगा अभ्यास
ऑपरेशन त्रिशूल को तीन चरणों में आयोजित किया गया है। पहला फेज गुजरात के सर क्रीक और समुद्री सीमा के पास नौसेना की अगुवाई में होगा। दूसरा फेज जैसलमेर में भारतीय सेना की लीडरशिप में आयोजित होगा, जिसमें थलसेना के साथ एयर डिफेंस और फाइटर विमानों का प्रशिक्षण शामिल होगा। तीसरा फेज वायुसेना की अगुवाई में होगा, जिसके बाद अंतिम चरण में तीनों सेनाओं का संयुक्त और एकीकृत अभ्यास संपन्न होगा।
आधुनिक तकनीक और इंटीग्रेटेड कमांड
इस अभ्यास में उन्नत तकनीक, ISR क्षमताओं, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर उपकरण और साइबर प्लेटफ़ॉर्म का समन्वित उपयोग किया जाएगा। इसके लिए तीनों सेनाओं के बीच एक संयुक्त इंटीग्रेटेड कमांड-एंड-कंट्रोल सेंटर स्थापित किया गया है, जो अभ्यास की रीढ़ का काम करेगा। यह केंद्र वास्तविक समय की परिस्थितियों में निर्णय-प्रक्रिया और नियंत्रण क्षमता को परखने में अहम भूमिका निभाएगा।
ऑपरेशन त्रिशूल का रणनीतिक संदेश
‘त्रिशूल’ सिर्फ एक सैन्य अभ्यास नहीं, बल्कि एक सशक्त रणनीतिक संदेश है, यह दर्शाता है कि भारत अपनी सुरक्षा और सीमा अखंडता को लेकर किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है। यह अभ्यास जहां पाकिस्तान के लिए एक स्पष्ट चेतावनी है, वहीं यह भारतीय सेनाओं की पोस्ट-सिंदूर युद्ध तत्परता की परीक्षा भी है। त्रिशूल भारत के सबसे बड़े संयुक्त (ट्राई-सर्विस) सैन्य अभियानों में से एक है, जो यह संकेत देता है कि भारत न केवल सतर्क है, बल्कि हर परिस्थिति में प्रभावी और निर्णायक प्रतिक्रिया देने की क्षमता रखता है।
 
            