कानपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) डॉ. हरिदत्त नेमी ने आज सात महीनों में तीसरी बार CMO का कार्यभार संभाल लिया। सुबह 10 बजे ऑफिस पहुंचते ही स्टाफ ने उनका स्वागत किया और कई कर्मचारियों ने उनके पैर छूकर आशीर्वाद लिया। डॉ. नेमी ने मीडिया से कहा, ‘मैंने सिर्फ शासन के आदेशों का पालन किया है। वहीं विवाद से जुड़े सवालों पर उन्होंने ‘नो कमेंट्स प्लीज’ कहकर बात टाल दी।
पुलिस ने ऑफिस ने निकाला था बाहर
डॉ. नेमी को 16 दिसंबर 2024 को कानपुर का CMO नियुक्त किया गया था, लेकिन 16 जून 2025 को उन्हें निलंबित कर लखनऊ मुख्यालय से अटैच कर दिया गया। इसके बाद डॉ. उदयनाथ को कानपुर का नया CMO बनाया गया। डॉ. नेमी ने हाईकोर्ट का रुख किया, जहां से उन्हें राहत मिली। 8 जुलाई को उन्होंने फिर से कार्यभार ग्रहण किया, लेकिन दो दिन बाद पुलिस ने उन्हें ऑफिस से बाहर निकाल दिया।
Also Read: ‘ऑफिस से बाहर जाइए…’, ADM पर सपा सांसद इकरा हसन से अभ्रदता का आरोप, कमिश्नर ने DM को सौंपी जांच
14 जुलाई को डॉ. नेमी ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में अवमानना याचिका दाखिल की। कोर्ट में आज सुनवाई थी, लेकिन उससे पहले ही सरकार बैकफुट पर आ गई और स्वास्थ्य विभाग ने तबादला आदेश निरस्त कर दिया। इसके बाद डॉ. उदयनाथ को वापस श्रावस्ती भेज दिया गया और डॉ. नेमी को फिर से कानपुर CMO पदभार सौंप दिया गया।
वायरल हुआ था ऑडियो
यह विवाद फरवरी 2025 में शुरू हुआ था जब डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने CMO ऑफिस में छापा मारा और 34 अधिकारी-कर्मचारी गैरहाजिर मिले। इसके बाद डीएम और CMO के बीच टकराव शुरू हुआ। आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हुआ, ऑडियो वायरल हुए और मामला सियासी गलियारों तक जा पहुंचा। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना और दो BJP विधायकों ने जहां डॉ. नेमी के समर्थन में चिट्ठी लिखी, वहीं अन्य दो विधायकों ने उन्हें हटाने की संस्तुति की।
अब जब हाईकोर्ट ने अवमानना याचिका पर कड़ा रुख अपनाया, तो सरकार को अपने आदेश वापस लेने पड़े। आज की सुनवाई के साथ यह साफ हो गया है कि कानपुर में CMO की कुर्सी सिर्फ स्वास्थ्य नहीं, सियासत का भी बड़ा केंद्र बन गई है।