उन्नाव रेप केस में बड़ा फैसला, कुलदीप सिंह सेंगर को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर लगाई रोक

Unnao Rape Case: उन्नाव रेप मामले में दोषी ठहराए जा चुके पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर (Kuldeep Singh Senger) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से बड़ा झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा दी गई जमानत पर फिलहाल रोक लगा दी है। इसके चलते सेंगर की जेल से रिहाई नहीं हो पाएगी।

हाई कोर्ट के आदेश पर लगा स्टे

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के 23 दिसंबर 2025 के उस आदेश को स्थगित कर दिया है, जिसमें सेंगर की उम्रकैद की सजा को निलंबित करते हुए जमानत देने का निर्णय लिया गया था। चीफ जस्टिस सुर्या कांत की अगुवाई वाली वेकेशन बेंच ने कहा कि विशेष परिस्थितियों को देखते हुए हाई कोर्ट के आदेश पर रोक जरूरी है।

CBI की याचिका पर सुनवाई

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की थी। CBI का कहना था कि सेंगर को दी गई राहत कानून और पीड़िता की सुरक्षा के लिहाज से अनुचित है।

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सरकार की दलील

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने अदालत को बताया कि सेंगर न सिर्फ नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में दोषी है, बल्कि पीड़िता के पिता की कस्टोडियल डेथ के केस में भी उसे 10 साल की सजा मिल चुकी है। ऐसे में उसकी रिहाई समाज और पीड़िता के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकती है।

CJI की अहम टिप्पणी

चीफ जस्टिस सुर्या कांत ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि आम तौर पर किसी व्यक्ति को एक बार जमानत मिलने के बाद उसकी स्वतंत्रता वापस लेना अदालतें पसंद नहीं करतीं। लेकिन यह मामला अलग है, क्योंकि सेंगर अभी भी दूसरे आपराधिक मामले में सजा काट रहा है। कोर्ट ने संकेत दिया कि वह हाई कोर्ट के जमानत आदेश को रद्द करने के पक्ष में झुकी हुई है।

सजा और कानून पर बहस

सॉलिसिटर जनरल ने तर्क दिया कि मामले में ‘पीनिट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट’ की स्पष्ट पुष्टि हुई है। 2017 में अपराध के समय कानून में कम से कम सात साल की सजा का प्रावधान था, जिसे बाद में संशोधन कर उम्रकैद तक बढ़ा दिया गया। उन्होंने कहा कि यह संशोधन संविधान के अनुच्छेद 20 का उल्लंघन नहीं है, क्योंकि अपराध वही रहा, केवल सजा को कठोर बनाया गया है। इस पर CJI ने कहा कि संशोधन यह दर्शाता है कि समाज ऐसे अपराधों को बेहद गंभीर मानता है और अदालतों को सजा तय करते समय इस सामाजिक दृष्टिकोण को ध्यान में रखना चाहिए।

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दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले पर विवाद

23 दिसंबर 2025 को दिल्ली हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने यह कहते हुए सेंगर की उम्रकैद की सजा निलंबित की थी कि वह सात साल पांच महीने से अधिक समय जेल में बिता चुका है और उसकी अपील लंबित है। हालांकि, कस्टोडियल डेथ केस में अलग सजा होने के कारण वह तब भी जेल से बाहर नहीं आ सका।

पीड़िता के परिवार की आपत्ति

दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बाद पीड़िता और उसके परिवार ने कड़ा विरोध जताया था। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से न्याय की गुहार लगाते हुए कहा था कि सेंगर की रिहाई से उनकी जान को खतरा है और बच्चों की सुरक्षा पर गंभीर असर पड़ सकता है।सुप्रीम कोर्ट के स्टे के बाद अब कुलदीप सिंह सेंगर को किसी भी तरह की राहत नहीं मिली है और वह जेल में ही रहेगा, जब तक कि इस मामले में आगे कोई अंतिम निर्णय नहीं आता।

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