Makar Sankranti 2022: आखिर क्यों संक्रांति पर दान की जाती है खिचड़ी, जानें इसका धार्मिक महत्व

 

हिंदू धर्म में साल का पहला त्योहार मकर संक्रांति महापर्व के रूप में मनाया जाता है। मकर संक्रांति के पर्व को देश के अलग-अलग हिस्से में अलग- अलग नामों से जाना जाता है। इसे पंजाब में लोहड़ी, उत्तराखंड में उतरायणी, गुजरात में उत्तरायण, केरल में पोंगल कहा जाता है। इस बार भी ये पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा। इस महापर्व पर खिचड़ी खाने और दान करने का काफी ज्यादा महत्व है। ऐसे में आज हम आपको इसके पीछे की वजह कर महत्व बताएंगे। ताकि आपके जीवन में भी इसका प्रभाव अवश्य पढ़े।

क्यों दान की जाती है खिचड़ी

जानकारी के मुताबिक, मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2022) के दिन खिचड़ी बनाने, खाने और दान आदि की प्रथा बाबा गोरखनाथ के समय से शुरू हई थी। खिचड़ी को लेकर प्रथा है कि जब खिलजी के आक्रमण के दौरान नाथ योगियों को भोजन बनाने का समय नहीं मिलता था और इस वजह से ही वे लड़ाई के लिए भूखे ही निकल जाते थे। तब बाबा गोरखनाथ (Baba Gorakhnath) ने दाल, चावल और सब्जियों को साथ मिलाकर पकाने की सलाह दी। जल्दी बनने वाली खिचड़ी से योगियों का पेट भी भर जाता था और ये पौष्टिक भी होता है।

बाबा गोरखनाथ ने इसका नाम खिचड़ी रखा। इसके बाद खिलजी से मुक्त होने के बाद मकर संक्रांति के दिन योगियों ने उत्सव मनाया और लोगों में खिचड़ी बांटी। उसी समय से ​मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाने की प्रथा की शुरुआत हुई। इतना ही नहीं, इस दिन गोरखपुर के बाबा गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी मेला लगाया जाता है। साथ ही, बाबा गोरखनाथ को इस दिन खिचड़ी का भोग लगाया जाता है।

ये है धार्मिक महत्व

मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2022) के दिन ऐसा माना जाता है कि इस दिन सूर्य देव (Lord Surya) और अपने पुत्र शनि के घर में जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र में उड़द की दाल को शनि देव से संबंधित माना गया है। ऐसे में इस दिन उड़द की दाल की खिचड़ खाने और दान करने से सूर्यदेव और शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही, चावल को चंद्रामा का कारक, नमक को शुक्र का, हल्दी को गुरू बृहस्पति का, हरी सब्जियों को बुध का कारक माना जाता है। वहीं, खिलड़ी की गर्मी से इसका संबंध मंगल से जुड़ता है। इसलिए मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने से कुंडली में हर तरह के ग्रहों की स्थिति में सुधार होता है।

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