बहुजन समाज पार्टी (BSP) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती (Mayawati) ने एक अहम फैसला लेते हुए पार्टी के पूर्व राज्यसभा सांसद डॉ. अशोक सिद्धार्थ (Dr. Ashok Siddharth) को दोबारा पार्टी में शामिल कर लिया है। पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते उन्हें कुछ महीने पहले निष्कासित कर दिया गया था। हालांकि अब उन्होंने सार्वजनिक रूप से माफी मांगते हुए अपनी गलती स्वीकार की है। मायावती ने इस निर्णय की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा की। उन्होंने लिखा कि पार्टी और डॉ. भीमराव अंबेडकर के स्वाभिमान आंदोलन को आगे बढ़ाने की दृष्टि से उन्हें दोबारा पार्टी में शामिल किया गया है।
बहुजन समाज पार्टी (बी.एस.पी.) के कई ज़िम्मेदार पदों पर लम्बे वर्षों तक कार्यरत रहे एवं पार्टी के पूर्व राज्यसभा सांसद श्री अशोक सिद्धार्थ, जिन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिये कुछ माह पहले पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था, उन्होंने सोशल मीडिया एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर आज…
— Mayawati (@Mayawati) September 6, 2025
सार्वजनिक माफी के बाद मिली माफी
— Ashok Siddharth BSP (@MP_SiddharthBSP) September 6, 2025
अशोक सिद्धार्थ ने सोशल मीडिया पर एक लंबी पोस्ट के जरिए मायावती से माफी मांगी। उन्होंने स्वीकार किया कि उनसे ‘जाने-अनजाने में’ गलतियाँ हुईं, और वे कुछ लोगों के बहकावे में आकर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल हो गए थे। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा, ‘मैं बहन जी से हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं। आगे से कभी भी कोई गलती नहीं होगी और मैं पार्टी अनुशासन का पूरी तरह पालन करूंगा।
मायावती ने दिया एक और मौका
मायावती ने अपने एक्स पोस्ट में लिखा कि अशोक सिद्धार्थ को अपनी गलती का एहसास पहले ही हो गया था और वे पिछले कुछ समय से विभिन्न स्तरों पर पश्चाताप कर रहे थे। उन्होंने सार्वजनिक तौर पर माफी मांगकर यह भरोसा दिलाया कि वे पूरी निष्ठा से पार्टी और आंदोलन के लिए कार्य करेंगे।इन्हें पार्टी में वापस लेने का निर्णय पार्टी व मूवमेन्ट के हित में लिया गया है। उम्मीद है कि वे अन्य कार्यकर्ताओं की तरह तन-मन-धन से पार्टी को मज़बूत करेंगे।
आकाश आनंद की वापसी के बाद ससुर अशोक सिद्धार्थ की वापसी
इससे पहले मायावती ने अपने भतीजे और BSP में नंबर दो माने जाने वाले आकाश आनंद का निष्कासन भी खत्म किया था। अब उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ की वापसी को पार्टी में एक बड़े घटनाक्रम के रूप में देखा जा रहा है।
फेसबुक पोस्ट में दी सफाई और किया वादा
अशोक सिद्धार्थ ने अपनी फेसबुक पोस्ट में कहा कि वे अब कभी भी पार्टी में गुटबाजी नहीं करेंगे और किसी भी निष्कासित व्यक्ति की सिफारिश नहीं करेंगे। उन्होंने लिखा,’मैं संदीप ताजने, हेमन्त प्रताप या किसी अन्य निष्कासित व्यक्ति की वापसी के लिए कोई सिफारिश नहीं करूंगा।’
कौन है अशोक सिद्धार्थ ?
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के वरिष्ठ नेता अशोक सिद्धार्थ को पार्टी सुप्रीमो मायावती का बेहद करीबी और विश्वसनीय सहयोगी माना जाता है। वह उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले के कायमगंज के निवासी हैं। मायावती के आग्रह पर उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी से इस्तीफा देकर बसपा की राजनीति में कदम रखा था। अशोक सिद्धार्थ का जन्म 5 जनवरी 1965 को हुआ था। उन्होंने झांसी मेडिकल कॉलेज से ऑर्थोमेट्री में डिप्लोमा प्राप्त किया है। सरकारी सेवा के दौरान वह बामसेफ से जुड़े रहे और विधानसभा, जिला तथा मंडल अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं।
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BSP से पुराना और गहरा रिश्ता
अशोक सिद्धार्थ का BSP से पुराना और गहरा संबंध रहा है। उनके पिता पार्टी के संस्थापक कांशीराम के करीबी सहयोगी थे। खुद मायावती ने उन्हें पहले एमएलसी और बाद में 2016 में राज्यसभा सांसद बनाया था। वे मायावती के बेहद करीबी और लो-प्रोफाइल नेताओं में माने जाते हैं। डॉक्टर होने के बावजूद उन्होंने राजनीति को प्राथमिकता दी और सरकारी नौकरी छोड़ दी थी।
क्यों हुआ था निष्कासन?
कुछ माह पहले मायावती ने अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निष्कासित करते हुए कहा था,BSP की ओर से ख़ासकर दक्षिणी राज्यों के प्रभारी रहे डॉ. अशोक सिद्धार्थ को गुटबाजी और पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के कारण तत्काल प्रभाव से निष्कासित किया जाता है।
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