नई दिल्ली। पीएम मोदी के लगातार विदेश दौरों के बाद एक के बाद एक देश भारत के साथ खड़े होते नजर आ रहे है. तीन दिन की राजकीय यात्रा पर रविवार को भारत पहुंचे मालदीव के नए राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह का दिल्ली में जोरदार स्वागत हुआ. गौरतलब है की राष्ट्रपति के रूप में किसी भी देश की यह उनकी उनकी पहली विदेश यात्रा है. सोलिह के साथ इस यात्रा पर उनकी पत्नी फाजना अहमद और सरकार का एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी है. भारत यात्रा पर आए सोलिहने कहा की, ‘मालदीव और भारत के बीच हमेशा से अच्छे संबंध रहे हैं. मालदीव के पास हमेशा ‘भारत की पहली’ नीति रही है. मालदीव के विकास के लिए भारत ने निरंतर समर्थन और सहयोग किया है. सोलिह का यह बयान भारत और मालदीव के बीच संबंधों में एक नए उर्जा की तरह है.
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गौरतलब है की इससे पहले भारत और मालदीव के संबंध में जटिलता बनी हुई थी, पिछले सरकार में राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन ने ‘भारत की पहली’ नीति को उलटते हुए चीन के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किया था. लेकिन इस बार मालदीव में हुए राष्ट्रपति चुनाव में मोहम्मद सोलिह की जीत के बाद भारत और मालदीव के संबंध एक बार फिर पटरी पर आते दिख रहे हैं. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 नवंबर को मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद सोलिह के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे. प्रधानमंत्री मोदी इकलौते राष्ट्राध्यक्ष थे, जिन्हें इस शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए बुलाया गया था.
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भारत और मालदीव के संबंधों में पूर्ववर्ती यामीन के शासन के दौरान तनाव देखने को मिला था क्योंकि, उन्हें चीन का करीबी माना जाता है. भारतीयों के लिये कार्यवीजा पर पाबंदी लगाने और चीन के साथ नये मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर को लेकर भी भारत खुश नहीं था. यामीन द्वारा इस साल पांच फरवरी को देश में आपातकाल की घोषणा किये जाने के बाद भारत और मालदीव के रिश्तों में और कड़वाहट आ गई थी. भारत ने इस फैसले की आलोचना करते हुए उनकी सरकार से लोकतंत्र और सियासी प्रक्रिया की विश्वसनीयता को फिर से बहाल करने और राजनीतिक बंदियों को रिहा करने की मांग की थी. मालदीव में 45 दिन तक आपातकाल रहा था.