अध्यात्म: रामायण तो हर किसी ने सुनी और पढ़ी होगी. रामायण के विलेन यानी रावण ने अपनी बहन के प्रतिशोध का बदला लेने के लिए सीता माता का हरण कर लिया था. लेकिन सीता माँ का जब हरण हुआ तब रावण ने उन्हें अपने महल में नहीं रखा था. रावण ने उन्हें अपने महल से दूर अशोक वाटिका में बंदी बनाकर रखा था. रावण चाहता तो सीता माता के साथ जबरदस्ती कर सकता था लेकिन उसने ऐसा कभी नहीं किया. क्या आप जानते हैं इसके पीछे क्या कारण हो सकता है. दरअसल एक बार रावण रात्रि के दौरान यात्रा कर रहा था. फिर वह एक जगह विश्राम करने के लिए रुका तभी अचानक उसने देखा कि आसमान में स्वर्ग की अप्सरा रंभा जा रही है. रावण के मन में रंभा के प्रति मोह जाग उठा. उसने रंभा को पकड़ लिया और उसके साथ जबरदस्ती करने लगा.
जब रावण ने रंभा से जबरदस्ती करनी चाही तो, रंभा ने रावण को बताया कि वह रावण की पुत्रवधू लगेगी क्योंकि रंभा कुबेर के बेटे नलकुबेर से प्रेम करती थी. रावण ने कहा कि अप्सराएं किसी पुरुष की नहीं होती हैं. ऐसा कहने के बाद रावण ने रंभा के साथ दुष्कर्म किया. जब यह बात नलकुबेर को पता चली तो नलकुबेर ने रावण को श्राप दिया कि आज के बाद वह किसी भी स्त्री के साथ जबरदस्ती नहीं कर पाएगा और ना ही अपने महल में रख पाएगा. अगर रावण ने ऐसा किया तो उसका सिर सात टुकड़ों में फट जाएगा. बस यही कारण था कि रावण ने सीता माता के साथ कोई भी दुर्व्यवहार नहीं किया.
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