संभल: उत्तर प्रदेश सरकार ने संभल में स्थित विवादित कुएं के मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल की है। रिपोर्ट में राज्य सरकार ने स्पष्ट किया कि कुआं सार्वजनिक भूमि पर है और मस्जिद का परिसर इससे अलग है। मस्जिद समिति का आवेदन, जो इस कुएं को लेकर है, पूरी तरह से गलत है, क्योंकि यह सार्वजनिक भूमि पर किसी के निजी अधिकार को स्थापित करने का प्रयास है।
कुएं का पुनर्निर्माण और जल संरक्षण
यह कुआं उन 19 कुओं का हिस्सा है, जिनका पुनर्निर्माण जिला प्रशासन द्वारा किया जा रहा है। इन कुओं का उद्देश्य जल पुनर्भरण और बारिश के पानी का संचयन करना है। इन कुओं को फिर से जीवित किया जा रहा है ताकि सभी समुदाय इसके पानी का उपयोग कर सकें। इसका पर्यावरणीय महत्व भी है, क्योंकि यह जल संकट को कम करने में मदद करेगा।
सांस्कृतिक और पर्यटक दृष्टिकोण से महत्व
इन प्राचीन कुओं के पुनरुद्धार से सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी संभल को एक नया आयाम मिलेगा। इसके साथ ही, यह पर्यटन के क्षेत्र में भी योगदान करेगा, क्योंकि इन कुओं का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है। सरकार का कहना है कि यह परियोजना संभल के विकास और शांति के लिए फायदेमंद है।
मस्जिद समिति का आवेदन और विवाद
मस्जिद समिति द्वारा दिया गया आवेदन इस पुनर्निर्माण कार्य के खिलाफ है और इसे विफल करने का प्रयास है। सरकार का कहना है कि यह आवेदन न केवल इस प्रक्रिया को बाधित कर रहा है, बल्कि पर्यावरण और क्षेत्र के संरक्षण के लिए भी हानिकारक हो सकता है। राज्य सरकार का उद्देश्य शांति, सामुदायिक सद्भाव और विकास को बढ़ावा देना है।
सुप्रीम कोर्ट की रोक और सामाजिक सौहार्द
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया था कि वह संभल में कुएं के विवादित हिस्से पर कोई भी निर्णय न लें। शाही जामा मस्जिद के पास स्थित यह कुआं आधा मंदिर के भीतर और आधा बाहर है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सामाजिक सौहार्द बनाए रखने की बात की है, जिससे क्षेत्र में शांति और समरसता बनी रहे।