उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में परिषदीय स्कूलों के विलय को लेकर राजनीतिक तापमान बढ़ता जा रहा है। समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने इस फैसले को गरीब और पीडीए (पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक) वर्ग के बच्चों के लिए नुकसानदेह बताते हुए सरकार पर हमला बोला है। उनका कहना है कि यह कदम इन बच्चों को शिक्षा से वंचित करने की साजिश है।
भाजपा का पलटवार, होर्डिंग से पेश किए आंकड़े
सपा के आरोपों के जवाब में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने लखनऊ (Lucknow) के प्रमुख चौराहों पर होर्डिंग्स लगाकर अपनी सरकार की शिक्षा संबंधी उपलब्धियों को गिनाया है। भाजपा द्वारा लगाए गए पोस्टरों में दावा किया गया है कि अखिलेश सरकार (Akhikesh Government) के चार वर्षों में करीब सात लाख बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया था और स्कूल खंडहर में तब्दील हो गए थे। वहीं, 2017 के बाद योगी सरकार ने इन स्कूलों को ‘समग्र शिक्षा के मंदिर’ बना दिया।
योगी सरकार की शैक्षिक उपलब्धियों का ब्योरा
होर्डिंग्स में योगी सरकार की ओर से किए गए कार्यों का उल्लेख करते हुए बताया गया है कि आठ वर्षों में 18 मंडलों में अटल आवासीय विद्यालय और 57 जनपदों में मुख्यमंत्री मॉडल कंपोजिट विद्यालय स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा गोरखपुर में पूर्वांचल का पहला सैनिक स्कूल खोला गया है। 680 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों को उन्नत किया गया है, जबकि कई नए हाईस्कूल और इंटर कॉलेज का निर्माण भी कराया गया है।
कोर्ट की मुहर और सरकार की सफाई
स्कूलों के विलय को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए लखनऊ हाईकोर्ट की पीठ ने सरकार के फैसले को बरकरार रखा है। अदालत में राज्य सरकार की ओर से दलील दी गई कि यह कदम बच्चों को बेहतर शैक्षिक माहौल और संसाधनों के कुशल उपयोग की दिशा में उठाया गया है। सरकार का कहना है कि विलय की प्रक्रिया बच्चों के हित में है और इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा।