सावन (Sawan) का महीना भगवान शिव को समर्पित है. सावन को श्रावण (Shrawan 2021) भी कहा जाता है मान्यता है कि इस मास में भगवान शिव माता पार्वती के साथ पृथ्वी का भ्रमण करते हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं. सावन का मास बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. आज सावन का दूसरा सोमवार है. सावन के महीने में भोले अपने भक्तों से प्रसन्न रहते हैं. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं की भोलेनाथ के गले में नागराज क्यों विराजमान है. भोलेनाथ के गले में आभूषण के स्वरूप में नाग क्यों हैं? चलिए जानते है.
आपको बता दें, भगवान भोलेनाथ के गले में इसलिए नागराज वासुकी है क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि वासुकी को नागलोक का राजा माना जाता है. वह भोलेनाथ के परम भक्त थे. वहीं शिवलिंग की पूजा अर्चना करने का प्रचलन भी नाग जाति के लोगों ने ही आरंभ किया था. शिवजी वासुकी की श्रद्धा और भक्ति देख भोलेनाथ काफी ज्यादा खुश हुए थे. जिसकी वजह से उन्होंने वासुकी को अपने गणों में शामिल कर लिया. मान्यताओं के अनुसार, नागों के देवता वासुकी की भक्ति से भगवान शिव बेहद खुश थे. ये इसलिए क्योंकि वो हमेशा की शंकर जी की भक्ति में लीन रहते थे. ऐसा कहा जाता है उस समय प्रसन्न होकर शिवजी ने वासुकी को उनके गले में लिपटे रहने का वरदान दिया था. जिसकी वजह से नागराज अमर हो गए थे.
नागराज वासुकी की एक कथा भी काफी ज्यादा प्रचलित है. कथा में ऐसा बताया जाता है की समुद्र मंथन के दौरान वासुकी नाग को मेरू पर्वत के चारों ओर रस्सी की तरह लपेटकर मंथन किया गया था. जिसकी वजह से उस समय एक तरफ उन्हें देवताओं ने पकड़ा था तो एक तरफ दानवों ने. उनका शरीर पूरा लहूलुहान हो गया. इससे शिव शंकर बहुत खुश हो गए थे. इसी के साथ जब वासुदेव कंस के डर से भगवान श्री कृष्ण को जेल से गोकुल ले जा रहे थे तब रास्ते में बारिश हुई थी. उस समय भी वासुकी नाग ने ही श्री कृष्ण की रक्षा की थी. ऐसी मान्यता है कि वासुकी के सिर पर ही नागमणि विराजित है.
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