आतंक की राह छोड़ सेना में हुआ था शामिल, देश के लिए कुर्बान कर दी थी जान, आज मिला अशोक चक्र

कश्मीर (Kashmir) के शोपियां में पिछले साल नवंबर में आतंकवाद रोधी अभियान के दौरान अपनी जान कुर्बान करने वाले लांस नायक नजीर अहमद वानी (Lance Naik Nazir Wani) को अशोक चक्र प्रदान किया गया. वह 25 नवंबर को भीषण मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गए थे.


वानी की मां राजा वानी और पत्नी महजबीन ने यह सम्मान प्राप्त किया. यह सम्मान उन्हें ऐसे समय पर दिया जा रहा है, जब बारामूला को घाटी का पहला आतंक मुक्त जिला घोषित किया गया है.


शुरू में आतंकी रहे वानी बाद में हिंसा का रास्ता छोड़ मुख्यधारा में लौट आए थे. वह 2004 में सेना में शामिल हुए थे. अधिकारियों ने बताया कि वानी दक्षिण कश्मीर में कई आतंकवाद रोधी अभियानों में शामिल रहे. अशोक चक्र भारत का शांति के समय दिया जाने वाला सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है. वानी को आतंकवादियों से लड़ने में अदम्य साहस का परिचय देने के लिए सेना पदक भी दिया गया.


जिस एनकाउंटर में वानी शहीद हुए थे, उसमें सुरक्षाबलों ने छह आतंकियों को मार गिराया था. आतंक छोड़कर आत्मसमर्पण करके भारतीय सेना को ज्वाइन करने वाले वानी को साल 2007 में वीरता के लिए सेना का मेडल भी दिया जा चुका है. वानी कुलगाम तहसील के चेकी अश्‍मूजी गांव के रहने वाले थे. लांस नायक नजीर अहमद वानी के परिवार में उनकी पत्‍नी और दो बच्‍चे हैं. उन्‍होंने करियर की शुरुआत वर्ष 2004 में टेरिटोरियल आर्मी से की थी. उन्‍हें सुपुर्द-ए-खाक के वक्त 21 तोपों की सलामी दी गई थी. बता दें, दक्षिण कश्‍मीर में स्थित कुलगाम जिला आतंकवादियों का गढ़ माना जाता है.


वानी को मरणोपरांत अशोक चक्र से नवाज़ा जा रहा है, जो भारत का शांति के समय में दिया जाने वाला सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है. अशोक चक्र के बाद कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र का नंबर आता है. वानी की बहादुरी का अंदाज़ा आप इससे भी लगा सकते हैं कि वह दो बार सेना मेडल भी जीत चुके हैं. वानी के अलावा इस साल चार अफसरों- सैनिकों को कीर्ति चक्र और 12 को शौर्य चक्र से नवाज़ा जाएगा.


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