उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में हैरान करने वाला मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि यहां 28 साल पहले मर चुके हिस्ट्रीशीटर समेत 81 अन्य को लखीमपुर के 22 पुलिस स्टेशनों के अधिकारियों ने फाइलों में अब तक जिंदा रखा। सबसे अहम बात तो यह कि पूरे मामले में एसएचओ के जरिए 28 सालों तक गलत जानकारी मुहैया कराई जाती रही। साथ ही पुलिस विभाग यह दावा भी करता रहा कि उन सभी पर नजर रखी जा रही थी।
एसएसपी पूनम के ऑपरेशन में चौंकाने वाला खुलासा
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, लखीमपुर खीरी की एसपी ने जिले मे रहने वाले सभी 1858 हिस्ट्रीशीटरों की पड़ताल के लिए ऑपरेशन निगरानी लॉन्च किया। इस अभियान के तहत एसपी पूनम ने जिले में रहने वाले सभी हिस्ट्रीशीटरों की पड़ताल के लिए यह अभियान चलाया।
इस ऑपरेशन का मकसद था कि ऐसे अपराधी जो काफी बूढ़े हो चुके हैं और अब अपराध करने की स्थिति में नहीं हैं, उनके नाम पुलिस रिकॉर्ड से हटा दिए जाएं। लेकिन इस अभियान में चौंकाने वाले नतीजे सामने आने से एसपी पूनम के होश उड़ गए हैं।एसपी पूनम का कहना है कि हाल ही की एक वेरिफिकेशन रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि 82 हिस्ट्रीशीटरों की पहले ही मौत हो चुकी है और उनमें से कुछ 20 वर्षों पहले ही मर चुके हैं।
उन्होंने कहा कि मैंने इस मामले में सर्कल ऑफिसर लखीमपुर सदर से जांच करने को कहा है, साथ ही उनसे इस बात का पता लगाने के लिए भी कहा गया है जिन्होंने अंतिम जांच प्रक्रिया में इन लोगों के नामों को अपडेट किया था। इस बड़ी गलती पर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
लखीमपुर कोतवाली का हैरान करने वाला खुलासा
सूत्रों का कहना है कि सबसे हैरान करने वाला खुलासा लखीमपुर कोतवाली पुलिस स्टेशन का है, जिसपर लखीमपुर सदर के सर्किल ऑफिसर आरके वर्मा ने मामले से जुड़े संबंधित अधिकारी की भूमिका की जांच करने की बात कही है। सूत्रों का कहना है कि गोटैय्याबाग निवासी मुन्ना रायदास के हिस्ट्रीशीटर पुत्र जयराम रायदास की 28 वर्ष पहले मौत हो चुकी है लेकिन लखीमपुर कोतवाली द्वारा लगातार उसके संबंध में जानकारी को दस्तावेजों में अपडेट किया जाता रहा।
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वहीं, एक अन्य मामले में नत्थालाल के पुत्र मस्सू, जिनकी 25 साल पहेल मौत हो चुकी है लेकिन उन्हें भी बुधवार को की गई पड़ताल तक जीवित रखा गया था। इन सबके इतर तीसरा मामला भी है, जिसमें गोबरे रायदास, जो तकरीबन 20 वर्ष पहले ही दुनिया से अलविदा हो चुके हैं, वह भी पुलिस रेकॉर्ड्स में जिंदा मिले। इस तरह 1,665 हिस्ट्रीशीटरों की पड़ताल में 82 लोग मृत पाए गए।
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