उत्तर प्रदेश में बिना मान्यता के चल रहे प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों पर शिकंजा कसने की तैयारी शुरू हो गई है। शिक्षा निदेशक बेसिक ने मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक व बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे मंडल व जिलों में बिना मान्यता संचालित विद्यालयों (Primary Schools) पर कार्रवाई करें। इसके साथ ही हर शुक्रवार को कितने स्कूलों पर कार्रवाई की गई, इसकी सूचना मांगी गई है।
जानकारी के अनुसार, प्रदेश में 6 से 14 साल तक के बच्चों की शिक्षा के लिए परिषदीय व मान्यता प्राप्त और सहायता प्राप्त प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूल संचालित हैं। निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 लागू होने के बाद से बिना मान्यता प्राप्त कोई भी विद्यालय संचालित नहीं हो सकता। इस अधिनियम के तहत स्कूलों को मान्यता देने के भी प्रविधान किए गए हैं, इसमें शर्तों के उल्लंघन पर मान्यता वापस लेने का निर्देश है।
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शिक्षा निदेशक बेसिक डा. सर्वेंद्र विक्रम बहादुर सिंह ने जिलों को जारी निर्देश में कहा है कि यदि कोई व्यक्ति बिना मान्यता लिए या मान्यता वापस होने के बाद भी स्कूल चलाता है तो उस पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। साथ ही उल्लंघन जारी रहने पर हर दिन दस हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। विभाग में स्कूल चलो अभियान पर विशेष जोर है।
इसी बीच निदेशक ने जिला व मंडलों को निर्देश दिया है कि प्रदेश में बिना मान्यता न तो स्कूल स्थापित हो सकता है और न ही संचालित इसलिए ऐसे विद्यालयों पर कड़ी कार्रवाई करें। अब विद्यालयों की तेजी से छानबीन होगी। विभाग का मानना है कि छात्र छात्राओं का शत प्रतिशत नामांकन तभी होगा जब फर्जी विद्यालय बंद हों।
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