उत्तर प्रदेश के सहारनपुर (Saharanpur) में इस्लामिक संस्था दारुल उलूम देवबंद (Darul Uloom Deoband) के फैसले से एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की मदरसा राजनीति को करारा झटका लगा है। यहां 250 से ज्यादा मदरसा संचालकों के साथ हुई बैठक में सभी मदरसों के सर्वे में सहयोग (Cooperation in Survey of Madrasas) का निर्देश दिया गया है।
दारुल उलूम देवबंद के मौलाना अरशद मदनी ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि देश की आजादी में मदरसों की कुर्बानियों को भुलाया नहीं जा सकता है, मदरसे देश के संविधान के अंतर्गत चलते हैं और मदरसों के अंदर कोई भी ढकी-दबी चीज नहीं है, इसलिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कराए जा रहे सर्वे से बिल्कुल डरने और घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि सर्वे में सहयोग करते हुए संपूर्ण और सही जानकारी दें।
मौलाना अरशद मदनी ने स्पष्ट किया है कि उन्हें योगी सरकार के मदरसों के सर्वे से कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने मदरसा संचालकों से आह्वान किया है कि वे सर्वे में सहयोग करें क्योंकि मदरसों के अंदर कुछ भी ढका-छिपा नहीं है, सबके लिए मदरसों के दरवाजे हमेशा खुले हुए हैं।
सम्मेलन का आयोजन प्रसिद्ध मस्जिद रशीदिया के भीतर हुआ, जिसमें 250 से अधिक मदरसों के जिम्मेदार मौजूद रहे। इन्होंने दारूल उलूम के रुख और सर्वे के संबंध में लिए गए फैसलों का स्वागत किया और संस्था की सभी घोषणाओं पर अमल करने का भरोसा दिलाया। वहीं, इस सम्मेलन में मीडिया की नो एंट्री रही। हालांकि, सम्मेलन के बाद मौलाना अरशद मदनी मीडिया से मुखातिब हुए और पत्रकारों के सवालों के जवाब दिए।
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बता दें कि योगी सरकार ने प्रदेश के गैर मान्यता प्राप्त और स्ववित्त पोषित मदरसों के सर्वे के आदेश दिए थे। आदेश के अनुपालन में 10 सितंबर को जिला स्तर पर जांच टीमों का गठन किया गया था। गठित टीमें प्रदेश भर में सरकार की सहायता के बिना चल रहे मदरसों में पहुंच सर्वे कर रही हैं। इनमें मदरसे के वित्तीय स्रोत और मूलभूत सुविधाओं आदि बिंदुओं पर जांच टीम मदरसा संचालको से जानकारी जुटा रही है। इनको पांच अक्टूबर को शासन को अपनी रिपोर्ट देनी है।
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