H-1B वीजा पर ट्रंप का बड़ा फैसला, IT सेक्टर में मची अफरा-तफरी, जानिए भारत पर क्या होगा असर?

19 सितंबर 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने एक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर साइन किया, जिसके तहत H-1B वीज़ा आवेदन पर अब सालाना $100,000 (लगभग ₹83 लाख) की भारी भरकम फीस ली जाएगी। अभी तक ये फीस $1,000–$5,000 के बीच थी। यह अचानक बढ़ोतरी भारतीय प्रोफेशनल्स और अमेरिकी टेक कंपनियों दोनों के लिए एक बड़ा आर्थिक और रणनीतिक झटका है।

H-1B वीज़ा

H-1B वीज़ा का इस्तेमाल अमेरिकी कंपनियां IT, इंजीनियरिंग और साइंस जैसे क्षेत्रों में विदेशी टैलेंट को नियुक्त करने के लिए करती हैं। वित्त वर्ष 2024 में जारी H-1B वीज़ा में से 71% भारतीय नागरिकों को मिले, यानी करीब 3 लाख से ज़्यादा लोग। नई फीस संरचना इस चैनल को लगभग बंद करने जैसी स्थिति पैदा कर सकती है।

टेक कंपनियों पर भारी आर्थिक बोझ

इस फैसले से सबसे ज़्यादा असर अमेरिकी टेक कंपनियों पर पड़ेगा, जो हर साल हजारों H-1B वीज़ा स्पॉन्सर करती हैं।उदाहरण के लिए:Amazon ने हाल ही में 36,000+ H-1B वीज़ा स्पॉन्सर किए थे। अब $100K फीस के हिसाब से कंपनी पर सालाना $3.6 बिलियन का अतिरिक्त खर्च आएगा। Google, Meta, Microsoft जैसी कंपनियां भी इसी स्थिति में हैं।अमेरिकी वाणिज्य सचिव हावर्ड लुटनिक ने इस नीति को “gatekeeper tax” करार दिया है, यानी विदेशी टैलेंट पर एक प्रकार का ‘एंट्री टैक्स’।

ट्रंप के पुराने रुख की वापसी

ट्रंप ने 2024 के चुनाव में H-1B फ्रेंडली नीति का वादा किया था, लेकिन यह कदम 2020 की सख्त वीज़ा नीतियों की याद दिलाता है, जब वीज़ा सस्पेंशन, हाई डिनायल रेट और हाई वेज शर्तें लागू की गई थीं।उनका तर्क है कि विदेशी वीज़ा धारक अमेरिकी नौकरियों पर कब्जा कर लेते हैं खासतौर पर भारतीय IT कंपनियों को अक्सर इस आरोप का सामना करना पड़ा है।

अमेरिकी इनोवेशन पर भी पड़ सकता है असर

हालांकि, आंकड़े बताते हैं कि H-1B वीज़ा धारक अमेरिका में औसत से 2-3 गुना अधिक पेटेंट फाइल करते हैं, और कई बार Google और Zoom जैसी इनोवेटिव कंपनियों की नींव भी रखते हैं।इस तरह का टैलेंट ड्रेन अमेरिकी इनोवेशन और AI सेक्टर की ग्रोथ को धीमा कर सकता है।

भारत पर प्रभाव

भारत के लिए यह फैसला कई स्तरों पर नुकसानदेह है। 70% से अधिक H-1B वीज़ा भारतीयों को मिलने का मतलब था लाखों युवाओं को अमेरिका में करियर का मौका। अब रेमिटेंस में गिरावट का खतरा है , 2024 में भारत को $32 बिलियन रेमिटेंस मिला, जो कुल का 27.7% था। TCS, Infosys, Wipro जैसी कंपनियां जो onsite डिपेंडेंसी पर काम करती हैं, उनके मार्जिन और ग्रोथ पर असर पड़ेगा।

WTO में चुनौती की तैयारी, GCCs को बढ़ावा

भारत सरकार और IT इंडस्ट्री बॉडी NASSCOM इस नीति को विश्व व्यापार संगठन (WTO) में चुनौती देने की तैयारी में हैं। उनका कहना है कि यह नियम अंतरराष्ट्रीय ट्रेड प्रैक्टिसेज के खिलाफ है और भारतीय कंपनियों के साथ भेदभाव करता है। साथ ही, भारत में Global Capability Centres (GCCs) को बढ़ावा देने की योजना तेज़ हो सकती है — ताकि मल्टीनेशनल कंपनियां काम को भारत में ही रिमोट तरीके से करवा सकें।

ऑफशोरिंग और स्टार्टअप कल्चर को मिल सकता है बूस्ट

2020 में ट्रंप की वीज़ा पाबंदियों के बाद भारत में ऑफशोर IT नौकरियों में 15% की बढ़ोतरी देखी गई थी। अब इस ट्रेंड में और तेजी आने की उम्मीद है। 2024 की पहली छमाही में भारतीय IT कंपनियों ने सिर्फ 24,766 H-1B एप्लिकेशन फाइल की थीं,जो पहले के मुकाबले आधी हैं। इससे रिमोट वर्क और घरेलू स्टार्टअप्स को मजबूती मिल सकती है।

मनोवैज्ञानिक और राजनीतिक असर

भारत के युवाओं पर इसका मनोवैज्ञानिक असर गहरा होगा, पहले से ही बेरोजगारी दर 8% से ऊपर है और बड़ी टेक कंपनियों (जैसे TCS ने 12,000 लोगों की छंटनी की) में अनिश्चितता बनी हुई है। Indo-US संबंधों में भी तनाव बढ़ सकता है। पहले ही चाबहार पोर्ट, Adani की जांच और ट्रेड टैरिफ्स जैसे मुद्दों पर रिश्ते सहज नहीं हैं। विपक्ष सरकार पर “कमज़ोर डिप्लोमेसी” का आरोप लगा सकता है।

अमेरिकी कंपनियों के लिए विकल्प क्या हैं?

इस नई नीति के तहत कंपनियों के पास दो ही विकल्प बचते हैं:

  • लोकल (और महंगे) टैलेंट हायर करें।
  • काम को ऑफशोर करें भारत, पोलैंड, मैक्सिको जैसे देशों में।
  • संभावना है कि कुछ कंपनियां कानूनी रास्ता अपनाएं और DHS (Department of Homeland Security) से “नेशनल इंटरेस्ट” के आधार पर छूट मांगें।

दीर्घकालिक प्रभाव

  • हालांकि शॉर्ट टर्म में भारतीय IT इंडस्ट्री को झटका लगेगा, लेकिन लॉन्ग टर्म में यह भारत में इनोवेशन, IP डेवलपमेंट और स्टार्टअप कल्चर को मजबूती दे सकता है।
  • दूसरी ओर, अमेरिका को टैलेंट वॉर्स और इनोवेशन स्लोडाउन जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
  • यह बदलाव शायद भारत को ‘ब्रेन ड्रेन’ से ‘ब्रेन गेन’ की दिशा में मोड़ने वाला साबित हो।

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