UP: 53 मंत्रियों में से 29 पर क्रिमिनल केस दर्ज, केशव, नंदी, कपिल देव और दयाशंकर मिश्र पर 7-7 FIR, ADR रिपोर्ट में खुलासा

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, देशभर के कुल 643 मंत्रियों में से 302 मंत्री (करीब 47%) पर गंभीर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। यह आंकड़ा दर्शाता है कि देश की राजनीति में अपराधियों की भागीदारी किस हद तक बढ़ चुकी है। इसमें उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार के कई मंत्री भी शामिल हैं। उत्तर प्रदेश सरकार में 53 मंत्री हैं, जिनमें से 26 मंत्री (49%) पर हत्या, बलात्कार, अपहरण जैसे संगीन अपराधों के केस दर्ज हैं। इसके अतिरिक्त, 3 अन्य मंत्रियों पर शांति भंग जैसी मामूली धाराओं में केस दर्ज हैं। इस प्रकार राज्य सरकार में कुल 29 मंत्री (55%) आपराधिक पृष्ठभूमि वाले हैं, जो कि राष्ट्रीय औसत (47%) से अधिक है। झारखंड में भी यह प्रतिशत 55% है, जबकि 12 अन्य राज्यों में यह आंकड़ा यूपी से अधिक है।

इन मंत्रियों पर हैं गंभीर आपराधिक केस

उत्तर प्रदेश सरकार में कई मंत्रियों पर कई मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें गंभीर धाराएं भी शामिल हैं। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ 7 केस, जिनमें सभी गंभीर धाराएं हैं। उनके खिलाफ कुल 17 अन्य धाराएं भी हैं। वहीं नंद गोपाल गुप्ता ‘नंदी’ के खिलाफ 7 मुकदमे, 13 गंभीर धाराएं और 23 अन्य धाराएं दर्ज हैं। इसी प्रकार दयाशंकर सिंह (बलिया नगर), राकेश सचान, मयंकेश्वर शरण सिंह, ओमप्रकाश राजभर, कपिल देव अग्रवाल, योगेंद्र उपाध्याय, और कई अन्य मंत्री भी गंभीर मामलों में लिप्त हैं।

उत्तर प्रदेश विधानसभा में 51% विधायक दागी

उत्तर प्रदेश विधानसभा के कुल 402 विधायकों में से 252 (51%) विधायकों ने अपने चुनावी हलफनामों में स्वीकार किया है कि उनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 205 विधायक (39%) पर गंभीर अपराध जैसे हत्या, हत्या का प्रयास, बलात्कार और अपहरण के केस दर्ज हैं।साल 2017 में यह आंकड़ा 36% था, जो 2022 में बढ़कर 51% हो गया। गंभीर आपराधिक मामलों की संख्या भी 26% से बढ़कर 39% हो चुकी है, जो कि न केवल चिंताजनक है, बल्कि लोकतंत्र की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े करता है।

कुछ चौंकाने वाले आपराधिक आंकड़े

रिपोर्ट के अनुसार, 5 विधायक ऐसे हैं जिन पर हत्या से संबंधित मामले दर्ज हैं, जबकि 29 विधायक हत्या के प्रयास के आरोपी हैं। इसके अलावा, 6 विधायकों पर महिलाओं के खिलाफ अत्याचार और 1 विधायक पर बलात्कार का मुकदमा दर्ज है। यह स्थिति राज्य की विधायिका की गुणवत्ता को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती है।

राज्य की प्रमुख पार्टियों में दागी विधायकों की संख्या 

  • सपा

समाजवादी पार्टी (सपा): 107 में से 69 विधायक दागी (64%), जिनमें 43% पर गंभीर अपराध हैं।

  • राष्ट्रीय लोकदल (रालोद)

राष्ट्रीय लोकदल (रालोद): 9 में से 7 विधायक दागी (77%), 61% पर गंभीर अपराध।

  • भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा): 258 में से 111 विधायक दागी (43%), 35% पर गंभीर केस।

  • सुभासपा और निषाद पार्टी

सुभासपा और निषाद पार्टी: 67% विधायकों पर आपराधिक मामले, जिनमें 65% गंभीर अपराध।

  • कांग्रेस, जनसत्ता दल, बसपा

कांग्रेस, जनसत्ता दल, बसपा: सभी विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं।

सांसद भी पीछे नहीं: 80 में से 41 पर आपराधिक मामले

उत्तर प्रदेश के 80 सांसदों में से 41 सांसदों के खिलाफ केस दर्ज हैं। इनमें से 11 सांसद ऐसे हैं जिन पर 2 साल या उससे अधिक सजा होने वाले गंभीर अपराधों के केस हैं।उदाहरण के लिए, गाजीपुर से सपा सांसद अफजल अंसारी को गैंगस्टर एक्ट में 4 साल की सजा हो चुकी है, जिसे फिलहाल हाईकोर्ट ने स्थगित कर रखा है। सपा सांसद बाबू सिंह कुशवाहा पर NRHM घोटाले से जुड़े 25 मुकदमे हैं, जिनमें से 8 मामलों में आरोप तय हो चुके हैं। आजमगढ़ के सपा सांसद धर्मेंद्र यादव पर भी विस्फोटक पदार्थों और अवैध चुनावी फंडिंग जैसे मामलों में केस दर्ज हैं।

दागी सांसदों की सूची में नाम:

  • अनुप्रिया पटेल (मीरजापुर): 2 केस, 14 अन्य धाराएं।
  • कमलेश पासवान (बांसगांव): 9 केस, 30 अन्य धाराएं।
  • कीर्तिवर्धन सिंह (गोंडा): 3 केस, 9 अन्य धाराएं।
  • रामकेश निषाद, नरेंद्र कुमार कश्यप, दारा सिंह चौहान, मोहम्मद दानिश जैसे कई अन्य सांसदों पर भी गंभीर आरोप हैं।

91% विधायक करोड़पति

रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि 402 में से 366 विधायक (91%) करोड़पति हैं। 2017 में यह आंकड़ा 80% था, जिससे स्पष्ट है कि राजनीति में पैसे का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है। विधायकों की औसत संपत्ति 8.06 करोड़ है, जो 2017 में 5.92 करोड़ थी।

सबसे अमीर विधायक

सबसे अमीर विधायक हैं भाजपा के अमित अग्रवाल (मेरठ), जिनकी घोषित संपत्ति 148 करोड़ है। इसके बाद सपा के मोहम्मद नासिर (60 करोड़), राकेश पांडे (59 करोड़) और बसपा के उमाशंकर सिंह (54 करोड़) हैं। यह स्थिति दर्शाती है कि उत्तर प्रदेश की विधानसभा धनकुबेरों का केंद्र बन चुकी है।

विधायकों की शैक्षिक योग्यता और उम्र

रिपोर्ट में विधायकों की शैक्षिक योग्यता और उम्र का भी विश्लेषण किया गया है। 76% विधायक स्नातक या उससे उच्च डिग्रीधारी हैं, जबकि 22% की शिक्षा 8वीं से 12वीं के बीच है।

उम्र के लिहाज से:

  • 42% विधायक 25 से 50 वर्ष के बीच हैं।
  • 58% विधायक 51 से 80 वर्ष के बीच हैं।
  • 2 विधायक 80 वर्ष से अधिक उम्र के हैं।

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