UP Neet Admission: एससी-एसटी को दिया 78% आरक्षण, सामान्य को सिर्फ 9 फीसदी सीटें, हाईकोर्ट ने रद्द की काउंसिलिंग

उत्तर प्रदेश के चार मेडिकल कॉलेजों में नीट-2025 की काउंसिलिंग में आरक्षण नियमों की खुली धज्जियां उड़ाई गईं। कन्नौज, अंबेडकरनगर, जालौन और सहारनपुर स्थित राजकीय मेडिकल कॉलेजों में अनुसूचित जाति और जनजाति को निर्धारित 23% की जगह 78% सीटें आवंटित कर दी गईं। इसके चलते सामान्य वर्ग को सिर्फ 9% सीटें मिलीं, वहीं ईडब्ल्यूएस कोटा लागू ही नहीं किया गया। मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने काउंसिलिंग को रद्द कर दिया है।

क्या है पूरा मामला?

प्रदेश में आरक्षण की व्यवस्था के अनुसार एससी को 21%, एसटी को 2%, ओबीसी को 27% और ईडब्ल्यूएस को 10% कोटा दिया जाता है। लेकिन इन चार मेडिकल कॉलेजों के निर्माण के दौरान समाज कल्याण विभाग की ओर से 70% बजट विशेष घटक से और 30% सामान्य बजट से जारी किया गया था। अधिकारियों ने इसकी गलत व्याख्या कर सीटों पर आरक्षण लागू कर दिया।

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याचिका में बताया गया कि यह प्रावधान केवल हॉस्टल आरक्षण के लिए था, लेकिन लापरवाही के चलते एमबीबीएस सीटों में भी इसी तरह लागू कर दिया गया। यही व्यवस्था वर्षों से चल रही है और इस वर्ष भी इसी आधार पर सीटें आवंटित हुईं।

सीटों का बंटवारा

चारों मेडिकल कॉलेजों में 100-100 सीटें हैं। इनमें से 15% केंद्र कोटे में जाती हैं, जबकि 85% राज्य कोटे में रहती हैं। राज्य कोटे की 85 सीटों में से 78% एससी-एसटी को दे दी गईं। बाकी सीटें ओबीसी और सामान्य वर्ग को मिलीं। ईडब्ल्यूएस अभ्यर्थियों को एक भी सीट नहीं मिली।

हाईकोर्ट की सख्ती

गड़बड़ी सामने आने पर हाईकोर्ट ने नीट-2025 की काउंसिलिंग को रद्द करने का आदेश दिया। अदालत ने माना कि यह नियमों का उल्लंघन है और इससे अन्य वर्गों के छात्रों के साथ अन्याय हुआ है।

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विभाग करेगा अपील

चिकित्सा शिक्षा विभाग अब हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील की तैयारी में जुटा है। विभागीय अधिकारी निर्माण से जुड़े दस्तावेज खंगाल रहे हैं और यह तर्क दे रहे हैं कि वर्षों से सीटें इसी व्यवस्था के तहत आवंटित होती रही हैं। विभाग का कहना है कि काउंसिलिंग रद्द होने से सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों की सीट मैट्रिक प्रभावित होगी और खाली सीटों के आवंटन में दिक्कतें आएंगी।

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