UP में ठिकाना बना रहे रोहिंग्या, मस्जिदों में देते हैं तकरीर, चुनाव में हो सकती है भागीदारी, ATS की पूछताछ में हुए बड़े खुलासे

भारत में अवैध रूप से घुसपैठ कर रह रहे बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं (Intruder Bangladeshi and Rohingiyas) को लेकर देश की सुरक्षा एजेंसियां चौकन्नी हैं. पिछले कुछ दिनों के दौरान उत्तर प्रदेश में कई रोहिंग्याओं की गिरफ्तारी भी हुई है. मीडिया में आईं खबरों की माने तो यूपी की एटीएस (UP ATS) ने गाजियाबाद जिले से दो रोहिंग्या (Rohingya) नागरिकों को गिरफ्तार किया. इनमें से एक का नाम आमिर हुसैन तो दूसरे का नाम नूर आलम है. यूपी एटीएस इन दोनों को 5 दिनों की रिमांड लेकर लखनऊ ले आई जहां पूछताछ के दौरान इन दोनों रोहिंग्या नागरिकों ने कई बड़े खुलासे किए है.


मस्जिदों में तकरीर देते हैं रोहिंग्या

यूपी के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि ये रोहिंग्या फर्जी दस्तावेजों का उपयोग कर बांग्लादेश के रास्ते भारत में अवैध तरीके से प्रवेश करते हैं और देश के अलग-अलग हिस्सों में बस रहे हैं. गाजियाबाद से गिरफ्तार नूर आलम रोहिंग्या को भारत में अवैध रूप से बसाने वाले गिरोह का मास्टरमाइंड है. यूपी एटीएस ने अब तक नूर समेत 11 रोहिंग्याओं को गिरफ्तार कर जेल भेजा है. ये सभी पड़ोसी मुल्कों में रोहिंग्याओं के साथ हो रही ज्यादती के बारे में मस्जिदों में तकरीर भी देते थे.


चुनाव में वोटिंग भी कर सकते हैं रोहिंग्या

प्रशांत कुमार के मुताबिक रोहिंग्या इस समय हर विधानसभा क्षेत्र में रह रहे हैं. इनकी पहचान कर पाना इस वजह से मुश्किल होता है क्योंकि इनके पास आधार कार्ड और वोटर कार्ड मौजूद रहते हैं. वह आम जनता में घुल-मिल जाते हैं और चुनाव में वोटिंग भी कर सकते हैं. इसके लिए इनको अच्छी खासी रकम भी दी जाती है. 


साल 2021 में पकड़े गए कई रोहिंग्या 

एटीएस ने इसी साल 6 जनवरी को संत कबीर नगर जिले के समर्थन गांव में बसे रोहिंग्या अजीजुल्लाह को गिरफ्तार किया था. जिसके बाद 28 फरवरी को अलीगढ़ के कमेला रोड पर रहे मोहम्मद फारुख और हसन को पकड़ा था. फिर फारुख के भाई शाहिद को 1 मार्च को उन्नाव से दबोचा गया. इसके साथ ही साथ अन्य तार जोड़ते हुए शाहिद के बहनोई जुबेर के बारे में भी जानकारी मिली, लेकिन वह एटीएस के हाथ नहीं लगा. 


शाहिद के पास से 5 लाख रुपये के साथ भारतीय नागरिकता से जुड़े कई दस्तावेज मिले थे, जो फर्जी तरीके से बनाए गए थे. इन सब से पूछताछ में बांग्लादेशी रिश्तेदारों की बात सामने निकल कर आई थी और बताया गया था यहां पर वो अपने रिश्तेदारों की मदद से रहने आए थे. जिसकी वजह से हजारों रोहिंग्या यहां आ गए हैं और स्थानीय निवासी बन गए हैं. 


रोजगार के लिए बूचड़खाने चलाते हैं रोहिंग्या

रोजगार के लिए ये प्रदेश के बूचड़खाने में काम करते हैं. अलीगढ़, आगरा, उन्नाव में स्लॉटर हाउस मौजूद हैं, यहां पर ये मोटा पैसा कमाते हैं. इनसे पैसा कमाने के एवज में दलाल इनसे कमीशन लेते हैं और इनको इस काम के लिए लगातार लाते रहते हैं. 


साल 2021 में पकड़े गए कई रोहिंग्या 

एटीएस ने इसी साल 6 जनवरी को संत कबीर नगर जिले के समर्थन गांव में बसे रोहिंग्या अजीजुल्लाह को गिरफ्तार किया था. जिसके बाद 28 फरवरी को अलीगढ़ के कमेला रोड पर रहे मोहम्मद फारुख और हसन को पकड़ा था. फिर फारुख के भाई शाहिद को 1 मार्च को उन्नाव से दबोचा गया. इसके साथ ही साथ अन्य तार जोड़ते हुए शाहिद के बहनोई जुबेर के बारे में भी जानकारी मिली, लेकिन वह एटीएस के हाथ नहीं लगा. 


शाहिद के पास से 5 लाख रुपये के साथ भारतीय नागरिकता से जुड़े कई दस्तावेज मिले थे, जो फर्जी तरीके से बनाए गए थे. इन सब से पूछताछ में बांग्लादेशी रिश्तेदारों की बात सामने निकल कर आई थी और बताया गया था यहां पर वो अपने रिश्तेदारों की मदद से रहने आए थे. जिसकी वजह से हजारों रोहिंग्या यहां आ गए हैं और स्थानीय निवासी बन गए हैं. 


रोजगार के लिए बूचड़खाने चलाते हैं रोहिंग्या

रोजगार के लिए ये प्रदेश के बूचड़खाने में काम करते हैं. अलीगढ़, आगरा, उन्नाव में स्लॉटर हाउस मौजूद हैं, यहां पर ये मोटा पैसा कमाते हैं. इनसे पैसा कमाने के एवज में दलाल इनसे कमीशन लेते हैं और इनको इस काम के लिए लगातार लाते रहते हैं. 


सीएए विरोधी प्रदर्शन में भी संलिप्तता आई थी सामने

>नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ 31 जनवरी 2019 को देशभर में प्रदर्शन और हिंसा हुई, जिसमें रोहिंग्याओं की भूमिका सामने आई थी. कानपुर में हिंसा भड़काने के आरोप में पीएफआई सदस्यों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था. मोहम्मद उमर सैयद, अब्दुल हाशमी, फैजान मुमताज, मोहम्मद वासिम और सरवर आलम आदि रोहिंग्याओं के पीएफआई के संपर्क में होने का दावा किया गया.


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