उत्तर प्रदेश के पीलीभीत (Pilibhit) से टिकट कटने के बाद वरुण गांधी (Varun Gandhi) ने जनता के लिए खुला पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने पीलीभीत से अपने भावनात्मक रिश्ते का जिक्र किया। वरुण गांधी ने कहा कि जब 1983 में वह 3 साल के थे, तब मां की ऊंगली पकड़कर पहली बार पीलीभीत आए थे। एक सांसद के तौर पर भले ही उनका रिश्ता खत्म हो रहा हो। लेकिन, पीलीभीत से रिश्ता आखिरी सांस तक खत्म नहीं होगा।
वरुण की जगह जितिन प्रसाद को टिकट
वरुण गांधी ने पत्र में लिखा कि सांसद के रूप में नहीं, तो बेटे के तौर पर सही, मैं आपकी सेवा के लिए प्रतिबद्ध हूं। यही नहीं, वरुण ने यह भी कहा कि मैं आम आदमी के लिए राजनीति में आया था। यह मैं करता रहूंगा, भले ही उसकी कोई भी कीमत चुकानी पड़े। दरअसल, भाजपा ने इस बार पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी को टिकट नहीं दिया है।
प्रणाम पीलीभीत 🙏 pic.twitter.com/D6T3uDUU6o
— Varun Gandhi (@varungandhi80) March 28, 2024
वहीं, अब उनकी जगह यूपी सरकार में मंत्री जितिन प्रसाद को टिकट दिया गया है। बुधवार को जितिन प्रसाद ने पीलीभीत से नामांकन किया। हालांकि, इस दौरान वरुण गांधी शामिल नहीं हुए। टिकट कटने के बाद वरुण का यह पहला सार्वजनिक पत्र सामने आया है।
पत्र में वरुण गांधी ने पीलीभीत की जनता को प्रणाम करते हुए लिखा कि मैं मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे वर्षों पीलीभीत की महान जनता की सेवा करने का मौका मिला। महज एक सांसद के तौर पर ही नहीं, बल्कि एक व्यक्ति के तौर भी मेरी परवरिश और मेरे विकास में पीलीभीत में मिले आदर्श, सरलता, और सहृदयता का बहुत बड़ा योगदान है।
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