चीन के बैंक अब पाकिस्तान को कर्ज देने के मामले में सतर्क हो गए हैं. नई गठबंधन की सरकार बनने के बाद पाकिस्तान के बाजार में मुद्रा में अस्थिरता आ सकती है. इसके अलावा अमेरिका के साथ रिश्तों में खटास आने की वजह से IMF के बकाया पर भी राहत मिलने के आसार नहीं हैं. 57 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर और पेइचिंग बेल्ड ऐंड रोड प्रॉजेक्ट के लिए चीन के बैंकों ने पहले ही अरबों डॉलर का कर्ज दिया है. इन प्रॉजेक्ट के माध्यम से चीन अपना भू-राजनैतिक प्रभाव बढ़ाना चाहता है.
पाकिस्तान का मुद्रा कोष कमजोर हो रहा है और यह IMF से 10 अरब डॉलर के कर्ज को माफ कराने की उम्मीद में है. इसके अलावा करंसी क्राइसिस से निपटने के लिए चीन और सऊदी अरब जैसे सहयोगियों से भी मदद मांग सकता है. नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ का संसद में बहुमत का आंकड़ा कम है और इसे घरेलू और अंतरराष्ट्रीय विरोध का सामना भी करना पड़ सकता है.
अब IMF भी नए कर्ज पर शर्तें लगा सकता है और अमेरिका ने भी पाकिस्तान से कहा है कि किसी भी तरह की फंडिंग का उपयोग चीन को कर्ज वापस करने में नहीं करना है. पेइचिंग के एक बैंकर ने कहा, ‘कमर्शल बैंक होते हुए हम पाकिस्तान को कर्ज देने से पहले ज्यादा सावधानी बरतेंगे’.
आर्थिक संकट के बीच तुर्की की मुद्रा लीरा में 40 प्रतिशत के अवमूल्यन और रूस के रूबल पर दबाव की वजह से चीन की चिंता और बढ़ गई है. अमेरिका के साथ चल रहे ट्रेड वॉर की वजह से चीन अपनी स्थिति को संभालने में लगा है.
एक सूत्र ने बताया, ‘हमने अविकसित देशों को कर्ज देने की प्रक्रिया सख्त कर दी है. हम अपने देश के आर्थिक खतरे को कम करना चाहते हैं.’ पाकिस्तान की नई सरकार को सितंबर के आखिरी तक 25.5 करोड़ डॉलर का कर्ज चुकाना है. पिछले कुछ सालों में चीन के बैंकों ने पाकिस्तान को कर्ज देना बढ़ाया है. CPEC के निर्माण में भी चाइना डिवेलपमेंट बैंक और एक्सपोर्ट-इंपोर्ट बैंक ऑफ चाइना बड़ी भूमिका निभा रहा है.
पाकिस्तान के पूर्व वित्त मंत्री मिफ्ताह इस्माइल ने कहा था कि चीन से लिया गया कर्ज 30 साल के लिए बिना ब्याज पर है. कुछ कर्ज पर 2 प्रतिशत का ब्याज देना है. चाइनीज डिवेलपमेंट बैंक ने पाकिस्तान को मार्च 2015 तक 1.3 अरब डॉलर कर्ज की मंजूरी दी थी. यह धन 16 प्रॉजेक्ट पर खर्च होना था. हाल ही में CDB ने पाकिस्तान को कर्ज देने से इनकार कर दिया है.
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