मुकेश कुमार संवाददाता गोरखपुर। महाराणा प्रताप महाविद्यालय, जंगल धूसड़ ,गोरखपुर में भूगोल विभाग द्वारा भूगोल में भारतीय ज्ञान परंपरा की जड़े: अतीत से वर्तमान तक विषय पर विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। भूगोल के सभी संकल्पनाओं एवं सिद्धांतों का आधार हमारे प्राचीन धर्म ग्रंथो में निहित है, प्राचीन ऋषि मुनियों ने प्रकृति को केंद्र में रखकर उनकी पूजा एवं संरक्षण के प्रावधान को विकसित किया। उक्त बातें दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर के भूगोल विभाग के सहायक आचार्य *डॉ सर्वेश कुमार* ने बतौर मुख्य वक्ता कही। विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए डॉ कुमार ने कहा कि अनुभव से अनुभूति की ओर जाना ही भूगोल है। बरामिहिर, भास्कराचार्य, आर्यभट्ट, चाणक्य जैसे विद्वानों ने अपने ग्रंथों में विभिन्न भौगोलिक तत्वों , घटनाओं के बारे में लिखा है । भारत वसुदेव कुटुंबकम की धारणा को केंद्र में रखकर भूगोल का समझता है। वैज्ञानिकता, संस्कृति, वैश्विक समझ, भारतीय ज्ञान परंपरा भूगोल को जीवंत रखने में आधार प्रदान करेगा।
“भारतीय ज्ञान परंपरा पर्यावरण पोशक एवं पूजक है” – श्री अरविन्द कुमार मौर्य
कार्यक्रम का संयोजन एवं आभार ज्ञापन भूगोल विभाग के सहायक आचार्य श्री अरविन्द कुमार मौर्य तथा संचालन डॉ शालू श्रीवास्तव ने किया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के शिक्षक तथा विद्यार्थियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की।
“भूगोल की जड़ता में बसती है भारतीय ज्ञान परंपरा” – डॉ सर्वेश कुमार
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