उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में कार्यरत 1321 फर्जी शिक्षकों (1321 Fake teacher) की नौकरी जाना तय माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि एसआईटी की ओर से मुहैया कराई गई लिस्ट के बाद बड़े पैमाने पर कार्रवाई की जा रही है। सूबे के 57 जिलों में फर्जी शिक्षकों को चिन्हित किया गया है।
45 फर्जी शिक्षकों की सेवा समाप्त की गई
इस मामले में सूत्रों का कहना है कि बाकी बचे हुए 18 जिलों में भी जांच की जा रही है। इनमें से 45 फर्जी शिक्षकों की सेवा समाप्त की जा चुकी है। वहीं, अन्य को कारण बताओ नोटिस भेजा गया है। बताया जा रहा है कि इन सभी शिक्षकों ने डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय आगरा के फर्जी और टैम्पर्ड प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी हासिल की थी।
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इनमें से बड़ी संख्या में फर्जी शिक्षक 15000 सहायक अध्यापक भर्ती में सेलेक्ट हुए थे। सचिव बेसिक शिक्षा परिषद रूबी सिंह ने एक जुलाई को सभी मंडलीय सहायक बेसिक शिक्षा निदेशकों को भेजे पत्र में 15 जुलाई तक कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है। एसआईटी ने बेसिक शिक्षा विभाग को 13 दिसंबर 2018 को आगरा विश्वविद्यालय के बीएड सत्र 2004-05 में पाए गए फर्जी और टैम्पर्ड प्रमाणपत्रधारी अभ्यर्थियों की संशोधित लिस्ट सीडी में उपलब्ध कराते हुए बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक पद पर चयनित अभ्यर्थियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए कार्रवाई की सूचना 30 जनवरी तक मांगी थी।
एसआईटी की इस सीडी में कुल 4704 अभ्यर्थियों के नाम थे, जिसमें 3652 के प्रमाणपत्र फर्जी और 1052 टैम्पर्ड थे। इस मामले में मंडलीय सहायक बेसिक शिक्षा निदेशक रमेश कुमार तिवारी ने कहा कि मंडल में इलाहाबाद में तीन और फतेहपुर में पांच फर्जी शिक्षक पाए गए हैं, जिनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। वहीं, अन्य दो जिलों में प्रतापगढ़ और कौशांबी से ऐसी कोई सूचना नहीं मिली है। उन्होंने बताया कि सचिव ने 15 जुलाई तक सूची मांगी है।
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