मुकेश कुमार संवाददाता गोरखपुर में 14 पुलिसकर्मियों पर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) से लोन लेकर रकम हड़पने का आरोप सामने आया है। इन पुलिसकर्मियों ने लोन लिया लेकिन लंबे समय से किस्त जमा नहीं की, जिससे उनके खाते एनपीए (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट) हो गए।
बैंक द्वारा नोटिस भेजे जाने के बावजूद जब कोई जवाब नहीं मिला, तो एसबीआई की मुख्य शाखा के प्रबंधक ने एसएसपी को पत्र लिखकर इन पुलिसकर्मियों की जानकारी दी। जांच में पता चला कि इनमें से नौ पुलिसकर्मियों का तबादला पहले ही गोरखपुर से हो चुका है।
कैसे की गई हेराफेरी?
यूपी पुलिस के सभी कर्मचारियों के वेतन खाते पहले एसबीआई में थे। बैंक ने विशेष सुविधाओं के तहत इन्हें आसानी से लोन उपलब्ध कराया। किसी ने 10 लाख तो किसी ने 8 लाख रुपये तक का लोन लिया। जब तक वेतन खाता एसबीआई में था, तब तक किस्तें कटती रहीं।
बाद में इन पुलिसकर्मियों ने विभागीय प्रक्रिया के तहत अपने वेतन खाते बैंक ऑफ बड़ौदा में ट्रांसफर करा लिए और एसबीआई को लोन की किस्तें भरना बंद कर दिया। कई महीनों तक कोई किस्त जमा नहीं हुई, जिससे बैंक को इन खातों को एनपीए घोषित करना पड़ा।
बैंक ने एसएसपी को लिखा पत्र
लोन की रिकवरी के लिए बैंक ने पहले नोटिस जारी किए, लेकिन जब कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली, तो अब एसएसपी को पत्र भेजकर कार्रवाई की मांग की गई है।
एसपी सिटी अभिनव त्यागी ने कहा: “बैंक की ओर से ऋण की किस्त न जमा होने की जानकारी दी गई है। सभी पुलिसकर्मियों से संपर्क कर बैंक से लेन-देन पूरा करने का निर्देश दिया जा रहा है। अगर फिर भी ऋण जमा नहीं किया गया, तो विभागीय कार्रवाई की जाएगी।”
छोटी रकम वालों की संख्या अधिक
बैंक ने पहले 14 बड़े लोन लेने वाले पुलिसकर्मियों की सूची एसएसपी को भेजी है, लेकिन बताया जा रहा है कि छोटी रकम लेकर किस्त नहीं चुकाने वाले पुलिसकर्मियों की संख्या काफी ज्यादा है। फिलहाल बैंक पहले बड़े लोन वसूलने पर ध्यान दे रहा है।