उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता ‘नंदी’ (Nand Gopal Gupta Nandi की कंपनी से साइबर ठगों ने 2.08 करोड़ रुपये की ठगी की है। ठगों ने बरेली, कोलकाता और दिल्ली के विभिन्न बैंक खातों में यह रकम ट्रांसफर की। मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रयागराज साइबर थाने की तीन टीमें जांच में जुटी हैं और अब तक 17 खाते फ्रीज किए गए हैं।
कैसे हुई ठगी?
ठगों ने मंत्री के अकाउंटेंट रितेश श्रीवास्तव को वॉट्सऐप पर मंत्री नंदी के बेटे की फोटो लगाकर मैसेज किया। ठग ने खुद को मंत्री का बेटा बताते हुए कहा कि वह जरूरी बिजनेस मीटिंग में है और नए नंबर से बात कर रहा है। जल्द से जल्द रुपये ट्रांसफर करने को कहा।
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इसके बाद ठग ने तीन बैंक खातों की जानकारी दी, जिनमें रकम भेजने को कहा गया। बिना किसी जांच-पड़ताल के अकाउंटेंट ने 2.08 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए। रकम तीन किश्तों में ट्रांसफर हुई। पहली किश्त में 65 लाख, दूसरी में 75 लाख और तीसरी में 68 लाख रुपये। ठगी की जानकारी मिलने पर प्रयागराज साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराई गई।
ठगी के पैसों का ट्रैक और जांच
अब तक की जांच में खुलासा हुआ है कि ठगों ने रकम बरेली के आईसीआईसीआई बैंक, कोलकाता के एक्सिस बैंक और यूको बैंक की विभिन्न शाखाओं में ट्रांसफर की। इसके बाद रकम को 60 से अधिक छोटे खातों में भेजा गया।
प्रयागराज की साइबर सेल, एसओजी और क्राइम ब्रांच की टीमें इस जाल को सुलझाने में लगी हैं। इन टीमों ने बरेली, कोलकाता और दिल्ली के बैंक खातों को फ्रीज करने का अनुरोध किया, लेकिन अधिकांश रकम पहले ही निकाल ली गई थी।
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साइबर ठगी का नया रिकॉर्ड
ठगों ने मंत्री नंदी की कंपनी के अलावा अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों को भी निशाना बनाया है। इनमें डॉक्टर, कारोबारी, हाईकोर्ट के वकील, इंजीनियर और रिटायर्ड अफसर शामिल हैं।
साइबर थाना प्रभारी राजीव तिवारी ने बताया कि ठगी में शामिल बैंक खातों को फ्रीज करने के लिए मेल भेजे गए हैं और ठगों का डेटा खंगाला जा रहा है। रुपये आईसीआईसीआई, एचडीएफसी और एक अन्य बैंक खाते में ट्रांसफर किए गए। फिलहाल, इस मामले में मंत्री नंद गोपाल नंदी का कोई पक्ष सामने नहीं आया है।
सरकार और पुलिस की कार्रवाई पर सवाल
कैबिनेट मंत्री के खाते से ठगी के बाद पुलिस और बैंक की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। जांच एजेंसियां अब तक ठगों को ट्रैक करने और रकम वापस लाने में सफल नहीं हुई हैं। बैंक द्वारा कार्रवाई कागजी प्रक्रिया तक सीमित रही है, जिससे ठगी की रकम निकलने में ठग सफल रहे। यह मामला न केवल साइबर सुरक्षा के प्रति लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि सरकार और एजेंसियों के सामने एक बड़ी चुनौती भी पेश करता है।
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