नई दिल्ली | यह देखना दुखद है कि विश्व कप सेमीफाइनल में एक भी दक्षिण अमेरिकी टीम नहीं है। ब्राजील और उरुग्वे वहां जगह बना सकती थी, मगर एक को जहां मौके गंवाने का खामियाजा भुगतना पड़ा वहीं वापसी की कोशिशों में जुटी दूसरी टीम के गोलकीपर ने गलती कर दी। घरेलू मैदान में यूरो 2016 की कड़वी यादों को भुलाने को बेताब फ्रांस बेहद संतुलित टीम है। स्वभाव में उनसे थोड़ी अलग बेल्जियम भी बराबर की शक्तिशाली है। क्वार्टर फाइनल में मजबूत टीमों को हराने के बाद उनका आत्मविश्वास सातवें आसमान पर होगा। उम्मीद है कि यह मैच बहुत ज्यादा आक्रामक नहीं होगा बल्कि हमें यहां रणनीतिक लड़ाई देखने को मिलेगी। कम से कम पहले हाफ में तो ऐसा ही होने वाला है, अगर कोई शुरू में गोल कर दे तो बात अलग है।
बेल्जियम की ओर से मिडफील्डर के रूप में केविन डि ब्रून और फेलेनी जैसे खिलाड़ी डिफेंडर और अटैक दोनों तरह से टीम को फायदा पहुंचाते हैं। वहीं स्ट्राइकर के तौर पर बेल्जियम की सबसे बड़ी ताकत रोमेलू लुकाकू हैं जो ना सिर्फ खेल से बल्कि अपने विशालकाय शरीर के कारण भी मैदान पर विरोधियों के लिए मुसीबत बनते हैं।
तो वहीं फ्रांस के पास भी मिडफील्ड में पॉल पोग्बा,एनगोलो कोंटे जैसे बढ़िया खिलाड़ी मौजूद हैं। अगर टीम का डिफेंस की बात करें तो फ्रांस का डिफेंस बेल्जियम के मुकाबले ज्यादा मजबूत है। टीम के पास राफेल वराने और सैमुअल उमिती जैसे अच्छे डिफेंडर हैं। स्ट्राइकर के मामले में एमबापे और एंटोनी ग्रीजमैन जैसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने टीम को सेमीफाइनल तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई हैं।
1986 के सेमीफाइनल और 2014 के क्वार्टर फाइनल हारने वाली बेल्जियम इस बार काफी साहसी दिख रही है। यह तभी देखने को मिल गया था जब उन्होंने अपने ग्रुप में शीर्ष स्थान छोड़ने से इन्कार कर दिया जबकि इससे उन्हें एक मुश्किल ड्रॉ मिलने वाला था। उन्हें पता था और उन्होंने दिखा भी दिया कि वे मजबूत विपक्षी टीमों का सामना करने के लिए तैयार हैं। ब्राजील ने उन्हें शुरुआत में बढ़त बनाने का मौका देकर एक तोहफा दिया, लेकिन जिस ढंग से उन्होंने इसका फायदा उठाया और सुरक्षा की, वह सच में काबिल-ए-तारीफ है।
फ्रांस को दबाव डालने वाला खेल पसंद है। एमबापे की गति और एंटोनी ग्रीजमैन की स्ट्राइकिंग क्षमता के भरोसे वह ऐसा कर पा रहे हैं। उनकी तुलना में बेल्जियम का स्वभाव स्थितियों के अनुसार खेलने का है। जापान के खिलाफ 0-2 से पिछड़ने के बाद उन्होंने 30 मिनट के भीतर तीन गोल दाग दिए और ब्राजील के खिलाफ जरूरत के मुताबिक उन्होंने अपनी पूरी ताकत डिफेंस में झोंक दी। रोमेलू लुकाकू एक पावरहाउस हैं और उन्हें ईडन हाजार्ड व केविन डी ब्रूने का साथ मिला हुआ है। जिस तेजी से एक-दूसरे को पास करते हुए वे विपक्षी टीम के गोलपोस्ट तक पहुंचते हैं, उसे देखकर मजा आ जाता है।
इससे एक बेहद रोमांचक मुकाबले की उम्मीद बंध गई है। आक्रमण, डिफेंस और मिडफील्ड के अलावा दोनों ही टीमों के पास भरोसेमंद गोलकीपर हैं। दोनों में से बेहतर कौन है, यह कहना मुश्किल है। जीतने की प्रबल इच्छा ही दोनों टीमों में अंतर पैदा कर सकती है। स्कोर करने की क्षमता और दबाव झेलने की योग्यता को देखते हुए यह मैच टूर्नामेंट का सर्वश्रेष्ठ मैच हो सकता है।
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