कौशांबी जेल में कैदी फटे पुराने कंबलो से बना रहे गायों के लिए कोट, PM मोदी ने की तारीफ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मन की बात कार्यक्रम में एक बार फिर जनता को सम्बोधित किया. यह अब तक का 72 वां और साल का आखिरी कार्यक्रम था. इस दौरान उन्होंने उत्तर प्रदेश की कौशाम्बी जिले के कैदियों की सराहना की. जिसके बाद सीएम योगी के साथ साथ यूपी के डीजी जेल ने भी प्रधानमंत्री को धन्यवाद कहा. उन्होंने ये भी कहा कि आज हम सबके लिए बहुत ही गर्व का दिन है.


पीएम ने की कैदियों की सराहना

जानकारी के मुताबिक, आज पीएम मोदी ने अपने कार्यक्रम में कौशाम्बी जेल के कैदियों की सराहना करते हुए कहा कि जेल के कैदी बेमिसाल काम कर रहे हैं. सभी मिलकर बेकार कंबल और जूट के पुराने बैग्स से गाय और अन्य जानवरों के लिए कोट तैयार कर रहे हैं. आइये हम सभी दूसरों और बेजुबानों की देखभाल के लिए हो रहे इस कार्य को मिलकर प्रोत्साहित करें. आगे पीएम ने ये भी कहा कि देश में लोगों में अब काफी बदलाव आ रहा है. जो लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रेरित करता है.


मुख्यमंत्री ने दिया धन्यवाद

पीएम द्वारा की गयी कैदियों की सराहना पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आभार जताया है. उन्होंने कहा कि , पीएम मोदी को सुनना दिव्य अनुभूति प्रदान करता है. आज आपके द्वारा गो-माता को ठंड से बचाने हेतु कौशांबी जेल के कैदियों द्वारा तैयार किए जा रहे कवरों की चर्चा से अनेक लोग प्रेरित होंगे। आपका हार्दिक धन्यवाद प्रधानमंत्री जी.


डीजी जेल ने भी जताया आभार

डीजी जेल आनंद कुमार ने टीम को बधाई देते हुए कहा कि, ‘हम सभी के लिए गर्व की बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ में कौशाम्बी जेल का उल्लेख किया है. पीएम मोदी ने गौ रक्षा को लेकर कौशाम्बी जेल की सराहना की है. ठंड से गायों को बचाने के लिए उन्हें कोट पहनाना एक अच्छा कदम है. इसके लिए मैं मुकुंद (जेल अधीक्षक बी.एस मुकुंद) और उनकी टीम को संवेदनशीलता दिखाने के लिए बधाई देना चाहूंगा.


जेल अधीक्षक ने बताया ये

कौशाम्बी जेल अधीक्षक बीएस मुकुंद ने बताया कि हमने कई जेलों से पुराने और फटे हुए कंबल एकत्र किए हैं. उन्हेंं कपड़े की शीट की मोटी चादर के साथ सिलाई करके मवेशियों के लिए कोट बनाने के लिए उपयोग कर रहे हैं. सर्दियों के दौरान कैदियों को आवंटित कंबल आमतौर पर लगभग तीन साल तक चलता है. उसके बाद घिसे-पिटे, फटे कंबल का इस्तेमाल गायों के लिए कोट सिलने के लिए किया जाता है. एक महीने में करीब हजार कोट बनाने का लक्ष्य रखा गया है. वहीँ इन कोट्स को बनाने के लिए दस दस कैदियों का ग्रुप तैयार किया गया है. जो काफी तेजी से सिलाई का काम करता है. फ़िलहाल अभी लिमिटेड गौशालाओं में आपूर्ति की जा रही है.


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