यूपी विधानसभा में पेश की गई भारत के नियंत्रक-महालेखा परीक्षक (सीएजी) की ताजा रिपोर्ट ने मायावती और अखिलेश सरकार की पोल खोलकर रख दी है। सीएजी रिपोर्ट (CAG report) में खुलासा हुआ है कि पूर्व की मायावती और अखिलेश यादव की सरकारों की शराब नीति के कारण दस साल में प्रदेश को लगभग 24 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
मायावती सरकार में शुरू हुआ था खेल
सीएजी की रिपोर्ट (CAG report) में कहा गया है कि मायावती सरकार में शुरू हुआ शराब घोटाला अखिलेश यादव की सरकार में भी जारी रहा। शराब कंपनियों, शराब बनाने वाली डिस्टलरियों, बीयर बनाने वाली ब्रेवरी और सरकार की मिलीभगत से प्रदेश के खजाने को हजारों करोड़ रुपये का चूना लगा। साल 2008 से 2018 के बीच एक्स डिस्टलरी प्राइस व एक्स ब्रेवरी प्राइस का निर्धारण शराब बनाने वाली डिस्टलरियों और बीयर बनाने वाली ब्रेवरियों के विवेक पर छोड़ दिया गया।
इससे ही 7,168 करोड़ रुपये का सरकारी खजाने को चूना लगा। इसके अलावा देशी शराब में न्यूनतम गारंटी कोटा बढ़ा देते तो तीन हजार करोड़ के राजस्व नुकसान से बचा जा सकता था। सीएजी रिपोर्ट में इसकी सतर्कता से जांच कराने की संस्तुति की गई है। कहा गया है कि दोषियों की जिम्मेदारी तय की जाए। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में निर्मित अंग्रेजी शराब और बीयर के लिए न्यूनतम गारंटी कोटा (एमजीक्यू) तय न किये जाने के कारण सरकारों को 13,246 करोड़ रुपये के राजस्व का घाटा हुआ।
ये है घोटाला
सीएजी ने माना है कि इसमें सरकारी अधिकारियों का भ्रष्टाचार मुख्य वजह रही। रिपोर्ट में मायावती के शासनकाल में 2009 में शराब बिक्री लिए बनाए गए विशिष्ट जोन को भी गलत करार दिया गया है। यह विशिष्ट जोन उस वक्त मायावती के करीबी माने जाने वाली शराब कारोबारी पोंटी चड्ढा के समूह को फायदा पहुंचाने के लिए बनाया।
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साल 2008 से 2018 की आबकारी नीति के जरिये एक्स डिस्टलरी प्राइस / एक्स ब्रेवरी प्राइस का निर्धारण डिस्टलरियों और ब्रेवरियों के विवेक पर छोड़ दिया गया यानि शराब बनाने वाली डिस्टलरी और बीयर बनाने वाली ब्रेवरी हर बोतल पर आने वाले लागत मूल्य के साथ अपना लाभांश जोड़कर कुल अधिकतम खुदरा मूल्य तय करने के लिए आजाद छोड़ दिए गए।
रिपोर्ट के अनुसार मेसर्स वेव डिस्टलरी एवं ब्रेवरीज लिमिटेड अलीगढ़ द्वारा वर्ष 2013-14 की अवधि में भारत में निर्मित अंग्रेजी शराब के तीन ब्राण्ड की 180 एमएल की बोतलों के अधिकतम थोक मूल्य की गलत गणना की गयी और आबकारी विभाग द्वारा भी इस त्रुटि का पता नहीं लगाया जा सका या जानबूझ कर नहीं लगाया गया। सीएजी ने रिपोर्ट में एक्स डिस्टलरी प्राइस और एक्स ब्रेवरी प्राइस में बढ़ोतरी के कारण डिस्टलरियों को 7168.63 करोड़ रुपये के अनुचित लाभ पहुंचाए जाने के मामले में सरकार द्वारा सतर्कता जांच करने की सिफारिश भी की है।
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