केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पंजाब (Punjab) की कांग्रेस सरकार को एक पत्र लिखा है, जिसमें राज्य के सीमावर्ती गांवों में किसानों के साथ काम करने वाले बंधुआ मजदूरों की एक गंभीर समस्या पर विचार करने के लिए कहा गया है। गृह मंत्रालय की तरफ से जिन मजदूरों को लेकर चिंता जताई गई है, उनमें अधिकांश उत्तर प्रदेश और बिहार के रहने वाले हैं।
दरअसल, ये बंधुआ मजूदर अच्छे वेतन के वादे पर पंजाब में काम करने के लिए अपने घर से सैकड़ों किलोमीटर दूर जाते हैं। लेकिन यहां खराब भुगतान के साथ ही इनका शोषण किया जाता है। इस 17 मार्च को पंजाब के मुख्य सचिव और डीजीपी को लिखे गए पत्र के जरिए इस अमानवीय व्यवहार के बारे में पता चला है।
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मंत्रालय ने कहा कि बंधुआ मजदूरों को अक्सर ड्रग्स दिया जाता है, जिससे उन्हें खेतों में लंबे समय तक काम करने में मदद मिलती है,। इससे उनकी मानसिक और शारीरिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ती है। मंत्रालय ने कहा कि समस्या ध्यान में रखते हुए, जिसमें मानव तस्करी, बंधुआ मजदूरी और मानवाधिकारों का उल्लंघन शामिल है, आपसे अनुरोध है कि इस मामले को देखें और इसके समाधान के लिए उचित कदम उठाएं।
राज्य सरकार से इस मामले पर प्राथमिकता आधार पर कार्रवाई की रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है। गृह मंत्रालय ने केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय को इस मामले को चिह्नित किया है, जिसमें सभी राज्यों – विशेष रूप से बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा को विभिन्न स्तरों पर जागरूकता पैदा करने के लिए उपयुक्त निर्देश जारी करने को कहा है।
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राज्यों को यह सुनिश्चित करने के लिए कि बेहतर रोजगार की संभावनाओं और पारिश्रमिक आदि के लिए झूठे वादे करके गरीब और कमजोर पीड़ितों को बेईमान तत्वों द्वारा धोखा दिया जाता है। 2019 और 2020 में पंजाब के गुरदासपुर, अमृतसर, फिरोजपुर और अबोहर के सीमावर्ती गांवों से पकड़े गए लोगों के आधार पर परेशान करने की प्रवृत्ति का विवरण साझा किया गया है।
सीमा सुरक्षा बल ने इन दोनों जिलों के सीमावर्ती क्षेत्रों से 58 भारतीय नागरिकों को पकड़ा है। गृह मंत्रालय ने पत्र में लिखा है कि पूछताछ के दौरान यह सामने आया कि उनमें से ज्यादातर या तो मानसिक रूप से विकलांग थे या मानसिक रूप से कमजोर थे।
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