…तो इसलिए DGP के पद से हटाए गए मुकुल गोयल, 6 बड़ी वजह आईं सामने

पिछले साल जून में ही यूपी पुलिस के मुखिया के रूप में कार्यभार संभालने वाले मुकुल गोयल को बीती रात योगी सरकार ने उनके पद से हटा दिया. जिसके बाद से महकमें में हड़कंप मच ही गया. योगी सरकार के इस अहम फैसले ने कई को जन्म दिया है कि आखिर क्यों ऐसे अचानक से मुकुल गोयल को हटाया गया. सरकारी सुत्रों की मानें तो पुलिस महानिदेशक मुकुल गोयल को शासकीय कार्यों की अवहेलना करने, विभागीय कार्य में रुचि न लेने और अकर्मण्यता के चलते डीजीपी पद से मुक्त किया गया है. पर कई ऐसी बातें हैं जो इस कदम के पीछे की वजह बन कर सामने आ रहीं हैं. आइये आपको इनके बारे में बताते हैं.

मुकुल गोयल को लग गई थी सरकार की नाराजगी की भनक

जानकारी के मुताबिक, सीएम योगी भी मुकुल गोयल की कार्यशैली से काफी नाराज चल रहे थे. खबरों की मानें तो काम में लापरवाही के चलते ये एक्शन लिया गया है. सीएम योगी के दूसरे कार्यकाल में कानून व्यवस्था को लेकर हुई दो प्रमुख बैठकों में डीजीपी की गैरमौजूदगी भी खूब चर्चा का विषय रही. इसे भी डीजीपी के खिलाफ ही देखा गया.

सरकार की नाराजगी की भनक मुकुल गोयल को भी लग गई थी, उन्होंने अपने करीबी अफसरों को दिल्ली लौट जाने का इशारा भी किया था. सोमवार और मंगलवार को भी मुकुल गोयल छुट्टी लेकर दिल्ली गए थे. बुधवार सुबह मुख्यमंत्री की बैठक में डीजीपी के तौर पर मुकुल गोयल शामिल भी हुए थे, लेकिन अचानक देर शाम उन्हें हटाने का आदेश दे दिया गया. आइये आपको भी उन मामलों के बारे में बताते हैं जिनकी वजह से मुकुल गोयल को हटाया गया है.

ये हैं 6 बड़े मामले

1- जून 2021 के आखिरी सप्ताह में पदभार ग्रहण करने वाले मुकुल गोयल के डीजीपी बनते ही विवाद शुरू हो गया. पश्चिम उत्तर प्रदेश के अखबारों में एक ज्वेलरी शोरूम के मालिक ने बड़े-बड़े इश्तेहार देकर मुकुल गोयल को डीजीपी बनने की बधाई दे डाली. मेरठ, मुजफ्फरनगर, बरेली मे तैनात रहे मुकुल गोयल के शुभचिंतक के इस इश्तेहार ने विवाद की शुरुआत की.

2- मुकुल गोयल का बतौर डीजीपी रहते दूसरा विवाद लखनऊ पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर से हुआ. 5 सितंबर 2021 को बतौर डीजीपी मुकुल गोयल पूरे लाव लश्कर के साथ हजरतगंज थाने पहुंच गए. थाने का निरीक्षण किया और निरीक्षण के दौरान ही उन्होंने इंस्पेक्टर हजरतगंज श्याम बाबू शुक्ला को हटाने का आदेश दे दिया. अचानक मीडिया के सामने डीजीपी के इस आदेश पर पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर भी हैरान थे क्योंकि इंस्पेक्टर हजरतगंज श्याम बाबू शुक्ला कई दिनों से डेंगू से ग्रसित थे और गंभीर हालत में अस्पताल में इलाज करवा रहे थे. मुकुल गोयल को इंस्पेक्टर के बीमार होने की पूरी बात बताई गई. मामला मुख्यमंत्री के सामने तक गया और तब मुख्यमंत्री को साफ निर्देश देना पड़ा कि मुख्यमंत्री कार्यालय या किसी भी बड़े अफसर को किसी भी मातहत को हटाने या पोस्ट करने का आदेश नहीं देना है.
4- चर्चा है कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान भी मुकुल गोयल का रुख ठीक नहीं रहा. मुकुल गोयल पहले से ही समाजवादी पार्टी के खेमे के अफसर माने जाते रहे हैं. एसपी चीफ अखिलेश यादव की सरकार में लंबे समय तक मुकुल गोयल एडीजी लॉ एंड ऑर्डर के पद पर भी रहे. विधानसभा चुनाव की मतगणना से एक दिन पहले मुकुल गोयल ने कुछ अफसरों को फोन किया था. इन सभी अफसरों को पहले ही साइड लाइन कर दिया गया है.
5- चुनाव बीता तो सरकार ने बुल्डोजर से कार्रवाई के अभियान को तेज किया. माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई को भी गति दी. आरोप है कि माफिया और अपराधियों पर सरकार के छेड़े अभियान में भी मुकुल गोयल सक्रिय नहीं दिखे.

6- लखनऊ कमिश्नरेट के पुलिसिंग में हस्तक्षेप से खड़े हुए विवाद के बाद दूसरा विवाद भी कमिश्नरेट की पुलिसिंग से ही जुड़ा. जिले के पुलिस कमिश्नर और जॉइंट कमिश्नर के बीच हो रहे विवाद में डीजीपी के तौर पर पुलिस कमिश्नर से मुकुल गोयल ने जवाब तलब कर लिया और यह मामला भी शासन में खूब तूल पकड़ा.

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