UP: ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग है या फव्वारा?, सर्वे रिपोर्ट को लेकर आज हो सकता है अहम फैसला

वाराणसी की जिला और फास्‍ट ट्रैक अदालत में ज्ञानवापी मामले (Gyanvapi Case) की सुनवाई 30 मई को होने जा रही है. सोमवार को ज्ञानवापी से जुड़े सभी मामलों की दो प्रमुख अदालतों में सुनवाई होनी है. इसमें जिला जज और फास्‍ट ट्रैक अदालत में होने वाली सुनवाई शामिल है. बता दें कि वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद में एडवोकेट कमिश्नर के सर्वे के दौरान कथित तौर पर शिवलिंग मिलने के बाद कोर्ट के आदेश से मस्जिद में स्थित वजूखाने को सील कर दिया गया है और मामले की सुनवाई कोर्ट में चल रही है.

जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने कमीशन की रिपोर्ट की सर्टिफाइड कॉपी जिसमे वीडियो और फ़ोटो भी है आज सभी पक्षकारों को सौंप दिए जाएंगे. जिला जज ने कमीशन की रिपोर्ट पर एक हफ्ते के अंदर आपत्ति दाखिल करने का आदेश दिया था. माना जा रहा है कि आज सुनवाई के बाद जिला जज की अदालत दोनों पक्षों को उस वीडियोग्राफी की कॉपी दे सकता है, जो पिछले दिनों कमीशन कार्यवाही के दौरान ज्ञानवापी में हुई थी. उस वीडियो में ऐसा क्या है, जिसके चलते प्रतिवादी पक्ष अदालत से गुजारिश कर रहा है कि उसे सार्वजनिक न किया जाए. जबकि हिन्दू पक्ष के मुख्य अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा कि वीडियो पूरे देश को देखना चाहिए। करीब 11 घंटे के इस वीडियो में कई ऐसी तस्वीरें हैं जिन्हें देखकर पता चल जाएगा कि ज्ञानवापी आदि विश्वेश्वर का प्राचीन मंदिर है.

मुस्लिम पक्ष ने की मुकदमे को ख़ारिज करने की मांग
पिछली सुनवाई में मुस्लिम पक्ष के वकीलों की तरफ से लगभग दो घंटे तक दलीलें दी गई. मसजिद कमेटी के वकील अभय नाथ यादव ने कहा कि परिसर में शिवलिंग मिलने की बात सिद्ध ही नहीं हुआ है. हिंदू पक्ष का यह मुकदमा पूरी तरह से गैर-पोषणीय है. इसलिए इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए. उधर हिंदू पक्ष की तरफ से अधिवक्ता अंजुमन इन्तजामिया कमेटी की तरफ से आर्डर 7 रूल 11 को लेकर दिए आवेदन पर 10 पेज का जवाब दाखिल किया.
मंदिर की बात सदियों पुरानी: हिंदू पक्ष
हिंदू पक्ष ने मस्जिद कमिटी की ओर से ऑर्डर 7 रूल 11 पर दिए गए आवेदन पर 10 पेज का जवाब दाखिल किया है. इसमें 42 बिंदुओं में वादी के अधिवक्‍ता हरिशंकर जैन ने वाद को सुनने योग्‍य बताते हुए मामले में आगे की कार्यवाही की मांग की है. यह भी कहा है कि ज्ञानवापी में मंदिर की बात तो सदियों पुरानी है और हाल ही में कमिशन की कार्यवाही में शिवलिंग मिलने से सच सामने आ चुका है. उन्‍होंने ईशान कोण में स्थित मां श्रृंगार गौरी के मंदिर को भी प्रमाण के तौर पर प्रस्‍तुत करते हुए दावा किया है हिंदू धर्म में विग्रह स्‍थापित होते हैं. वहीं, प्रतिवादी मुस्लिम पक्ष का कहना है कि अदृश्‍य देवी-देवताओं का हक या स्‍वामित्‍व कैसे हो सकता है. जब तक देवता होने का प्रमाण न मिले तब तक देवता के अधिकार की बात नहीं होनी चाहिए.

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