उत्तर प्रदेश में एक दौर था जब पाक परस्त आतंकी संगठन प्रदेश के शहरों में बम ब्लास्ट करके पूरे देश को दहला रहे थे। और तो और प्रदेश ने ऐसी सरकारों को भी देखा है जब आतंकियों पर लगे मुकदमों को केवल वोट बैंक को खुश करने के लिए वापस ले लिया जाता था। मगर आज उत्तर प्रदेश पूरी तरह से आतंकवाद के भय से मुक्त हो चुका है। कभी आतंक की नर्सरी के नाम से कुख्यात रहा प्रदेश का आजमगढ़ जिला आज प्रदेश के विकास के सफर में कदम से कदम मिला कर चल रहा है। यूपी बीते छह साल से शांत है तो इसके पीछे प्रदेश की एटीएस (एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड) की अहम भूमिका है। सेंट्रल एजेंसियों के साथ बेहतर समन्वय, इन्फ्रास्ट्रक्चर का अपग्रेडेशन, गाजियाबाद, लखनऊ और अयोध्या में स्पॉट (SPOT) का गठन करते हुए ऑप्स 11 फील्ड यूनिट व 18 टीमों की स्थापना ने प्रदेश में आतंक के खिलाफ लड़ाई को निर्णायक स्तर पर मजबूती प्रदान की है। आज यूपी आतंकवाद और नक्सल उग्रवाद के दंश से मुक्त प्रदेश बन चुका है।
6 साल में मजबूत हुआ सुरक्षा चक्र
6 साल पहले प्रदेश की सत्ता संभालने के बाद योगी सरकार ने एटीएस को अत्याधुनिक तकनीक, अस्त्र-शस्त्र, साइबर एक्सपर्ट, आधुनिक सॉफ्टवेयर, ऐप्स, विश्वस्तरीय प्रशिक्षण, टूल्स, मॉक एवं ड्रिल्स, आधुनिक सॉफ्टवेयर, डिजिटल फॉरेंसिक, वीडियो फॉरेंसिक, बिग डेटा एनालिसिस से युक्त करते हुए प्रभावी कार्रवाई को अमल में लाने का काम किया है। अगर बीते केवल एक वर्ष के आंकड़े पर नजर डालें तो एटीएस ने पुरस्कार घोषित 10 आतंकियों को गिरफ्तार किया है। इसके अलावा आईएसआईएस, जैश ए मोहम्मद, अलकायदा, आईएसआई और अन्य आतंकी संगठनों से जुड़े 21 लोगों को एटीएस ने धर-दबोचने में कामयाबी हासिल की है। वहीं पीएफआई, रोहिंग्या, बांग्लादेशी और नक्सल उग्रवादी संगठन से जुड़े 13 लोगों को एंटी टेरेरिटस्ट स्क्वॉड ने गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है। साथ ही जाली करेंसी के खिलाफ भी योगी सरकार में प्रभावी कार्रवाइयां हुई हैं। इस धंधे से जुड़े लोगों की धरपकड़ लगातार जारी है। अवैध सिम बॉक्स का संचालन करने वाले 11 लोगों को एक साल के अंदर यूपी एटीएस की टीम ने गिरफ्तार किया है। ऐसे ही आतंकियों को अवैध हथियार मुहैया कराने वाले 15 लोगों को एटीएस ने गिरफ्तार किया है। साथ ही अन्य राज्यों के वांछित आतंकियों की गिरफ्तारी में भी योगी शासन में प्रभावी कदम उठाए गये हैं।
आतंकी हमलों से मुक्त हुआ यूपी
कौन भूल सकता है सदी के पहले दशक में यूपी में एक के बाद एक हुए आतंकी धमाकों ने ना सिर्फ आम जनता को भयभीत कर रखा था, बल्कि कई बार सत्ता पक्ष की ओर से आतंकी संगठनों को मिलने वाली मौन सहमति ने इन्हें प्रदेश में फलने-फूलने का पूरा मौका भी दिया। एक के बाद एक हुए दर्जनों बम धमाकों ने सैकड़ों लोगों को धार्मिक उन्मादियों की कट्टरता का शिकार बनाया। वाराणसी रेलवे स्टेशन और संकटमोचन मंदिर का सीरियल बम ब्लॉस्ट हो या लखनऊ, फैजाबाद और बनारस कचहरी में हुआ आतंकी ब्लास्ट, इन धमाकों को याद करके आज भी प्रत्यक्षदर्शियों की आंखों में दहशत साफ झलकती है। जौनपुर में हुए श्रमजीवी एक्सप्रेस ब्लास्ट जैसे आतंकी हमलों से ना सिर्फ जनहानि हुई बल्कि 2010 में वाराणसी के शीतला घाट बम धमाके ने हिन्दुओं की पवित्र नगरी ही नहीं देश के मनोबल को तोड़ने का भी काम किया था। हालांकि सत्ता परिवर्तन के साथ ही मोदी-योगी शासन के बीते 9 साल में देश में अमन की बहाली हुई और यूपी पूरी तरह से आतंकी हमलों से मुक्त हुआ। इसके पीछे आतंक विरोधी मशीनरी को सशक्त बनाने की रणनीति ने अहम योगदान दिया। आतंक विरोधी मुहिम को राजनीति से अलग करते हुए और वोट बैंक के लाभ-हानि से ऊपर उठकर किये गये प्रयासों का ही नतीजा रहा कि बीते 9 साल में उत्तर प्रदेश से आतंक का समूल विनाश हो चुका है।
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