भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की गाइडलाइंस के बाद भी कुछ बैंकों के कॉरपोरेट गवर्नेंस में खामियां पाई गई हैं। इसको लेकर आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास (Governor Shaktikanta Das) ने सोमवार को कहा कि कुछ बैंकों ने अपने स्ट्रेस्ड एसेट्स की वास्तविक स्थिति छिपाने की कोशिश की है। इसके साथ ही कुछ लेंडर्स में गवर्नेंस गैप भी देखा गया है।
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक की गाइंडलाइस के बावजूद यह चिंता का विषय है कि आरबीआई की गाइलाइंस के बाद भी कुछ बैंको के कॉरपोरेट गवर्नेंस में खामियां पाई गई हैं। कॉरपोरेट गवर्नेंस की इन खामियों से बैंकिंग सेक्टर में अस्थिरता आ सकती है। इसके साथ ही उन्होंने बैंकों को चेतावनी देते हुए सावधान रहने के लिए कहा है।
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हालांकि, इस दौरान किसी भी बैंक का नाम नहीं लिया गया। शक्तिकांत दास ने कहा कि हमें यह ध्यान रखना होगा कि जब चीजें ठीक चल रही होती हैं तो अक्सर जोखिमों को अनदेखा कर दिया जाता है। इसलिए बैंकों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स और उनके सीनियर मैनेजमेंट को बाहरी जोखिमों और अंदरूनी कमियों पर निगरानी बनाए रखना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारतीय बैंकिंग सेक्टर मजबूत और स्थिर खड़ा है। आज हमारा बैंकिंग सेक्टर 16.1% कैपिटल-टू-रिस्क वेटेड एसेट्स रेशियो (सीआरएआर), 4.41% नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए), 1.16% नेट एनपीए और 73.20% प्रोविजन कवरेज रेश्यो के साथ मजबूत और स्थिर है।
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गवर्नर ने यह सभी बातें प्राइवेट और गवर्नमेंट बैंकों के डायरेक्टर की कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा। इस दौरान उन्होंने कहा कि बैंकों की स्टेबिलिटी के साथ सस्टेनेबल फाइनेंस परफॉर्मेंस के लिए एक स्ट्रांग गवर्नेंस स्ट्रक्चर सबसे पहली और जरूरी चीज है।
इसके साथ ही शक्तिकांत दास ने 7 जरूरी विषयों पर चर्चा करने की आवश्यकता पर जोर दिया। इन विषयों पर बोर्ड की बैठक के दौरान चर्चा करने के लिए कहा, जिसमें बिजनेस स्ट्रेटजी, फाइनेंशियल रिपोर्ट और उसकी सत्यता, रिस्क, कंप्लायंस, कस्टमर प्रोटेक्शन, फाइनेंशियल इंक्लूजन और ह्यूमन रिसोर्स शामिल है।
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