केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को सहकारिता क्षेत्र की दुनिया की सबसे बड़ी अन्न भंडारण योजना (Grain Storage Scheme) को मंजूरी दी। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि इस योजना पर एक लाख करोड़ रुपए खर्च होंगे। 10 जिलों में पायलट प्रोजेकट के रूप में इस योजना को शुरू किया जाएगा। योजना के तहत हर ब्लॉक में 2000 टन क्षमता का गोदाम बनाया जायेगा।
किसान अपने हिसाब से बेच सकेंगे अनाज
अनुराग ठाकुर ने बताया कि इसके लिए एक अंतर-मंत्रालयी कमेटी का गठन होगा। कैबिनेट के फैसलों की जानकारी केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने दी। अनुराग ठाकुर ने कहा कि स्टोरेज की कमी की वजह से जो अनाज की बर्बादी होती थी वह इससे रुकेगी। जिन किसानों को स्टोरेज न मिलने की वजह से अपनी उपज को औने-पौने दाम पर बेचना पड़ता था अब वह भी नहीं करना होगा। वो अपने हिसाब से अनाज बेच सकेंगे।
आज की कैबिनेट बैठक में सहकारिता क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अन्न भंडारण योजना के अनुमति अनुमोदन पर आज निर्णय लिया गया है। अभी तक कुल 1450 लाख टन भंडारण की क्षमता है और अब 700 लाख टन भंडारण की क्षमता सहकारिता क्षेत्र में शुरू होगी।
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— Office of Mr. Anurag Thakur (@Anurag_Office) May 31, 2023
अनुराग ठाकुर ने कहा कि भारत दुनिया में सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। रूस और ब्राजील जैसे दूसरों बड़े प्रोड्यूसर्स के पास उत्पादन से ज्यादा भंडारण की क्षमता है, लेकिन हमारे पास पैदावार के केवल 47% भंडारण की क्षमता है। उन्होंने कहा कि हर ब्लॉक में 2000 टन का गोदाम बनाया जाएगा। प्राथमिक कृषि क्रेडिट समितियों (PACS) में भी 500-2000 टन के गोदाम बनेंगे।
किसानों के लिए परिवहन लागत होगी कम
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अधिक भंडारण क्षमता से किसानों के लिए परिवहन लागत कम होगी। इससे खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी। देश में सालाना करीब 3,100 लाख टन खाद्यान्न का उत्पादन होता है। लेकिन मौजूदा क्षमता के तहत गोदामों में कुल उपज का 47 प्रतिशत तक ही रखा जा सकता है। इसके अलावा बैठक में सिटी इन्वेस्टमेंट्स टू इनोवेट, इंटीग्रेट एंड सस्टेन – CITIIS 2.0 प्रोग्राम आज शुरू करने का भी निर्णय लिया गया है। इस योजना के ऊपर करीब 1866 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।
इस योजना के लागू होने से होंगे 5 बड़े फायदे
- फूड स्टोरेज कैपेसिटी बढ़ने से इंपोर्ट कम होगा
- पंचायत स्तर पर रोजगार के अवसर पैदा होंगे
- किसानों को उत्पादन पर बेहतर कीमत मिलेगी
- अनाज की ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट में कमी आएगी
- अन्न खराब नहीं होगा, इससे अन्न की बरबादी रुकेगी
- 5 सालों में 2150 लाख टन हो जाएगी स्टोरेज कैपेसिटी