उत्तर प्रदेश में दुर्दांत अपराधियों के खिलाफ दर्ज मुकदमे में भी पॉक्सो एक्ट की तर्ज पर एक माह के भीतर विवेचना पूरी कर सुनवाई सुनिश्चित कराने की योजना शुरू की गई है। डीजीपी विजय कुमार (DGP Vijay Kumar) ने कहा है कि इसके तहत लूट, हत्या, डकैती, दुष्कर्म, अवैध मतांतरण, गोकशी, जातीय तनाव फैलाने जैसे जघन्य अपराधों के आरोपितों को भी ट्रायल आरंभ कराकर एक से डेढ़ माह में सजा सुनिश्चित कराई जाएगी।
एसपी को पुलिसकर्मियों को अवकाश देने का निर्देश
उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में कराकर तय समय में सजा कराए जाने के प्रयास अभियान के तहत किए जा रहे हैं। ऑपरेशन कन्विक्शन के तहत गवाहों को कोर्ट में निर्धारित तारीख में पहुंचाए जाने को लेकर भी कड़े निर्देश दिए गए हैं। साथ ही सभी एसपी को उन पुलिसकर्मियों को अवकाश प्रदान किए जाने का निर्देश दिया गया है, जिन्हें कोर्ट में गवाही देनी है। ताकि निजी गवाहों के साथ पुलिसकर्मियों की गवाही भी सुनिश्चित हो सके।
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वहीं, सूचीबद्ध माफिया के विरुद्ध अभियान के तहत कार्रवाई को लेकर विपक्ष द्वारा भेदभाव के आराेप लगाए जाने के सवाल पर विजय कुमार का कहना है कि यूपी पुलिस किसी की जाति-धर्म व क्षेत्र देखकर कार्रवाई नहीं करती। माफिया व अपराधियों के विरुद्ध जीरो टालरेंस की नीति के तहत निष्पक्ष कार्रवाई सुनिश्चित कराई जा रही है।
संवेदनशील व प्रमुख स्थलों पर सीसीटीवी लगाने के निर्देश
डीजीपी ने बताया कि ऑपरेशन दृष्टि के तहत सभी जिलों में संवेदनशील व प्रमुख स्थलाें पर सीसीटीवी कैमरे लगवाए जाने के निर्देश भी दिए गए हैं। जिससे सभी प्रमुख घटनाओं का त्वरित राजफाश हो सके। सीसीटीवी फुटेज की मदद से कई जघन्य घटनाओं में शामिल रहे अपराधियों को कम समय में ही दबोचने में मदद मिली है। इससे सड़क पर महिलाओं के साथ चेन लूट व छेड़छाड़ जैसे अपराधों पर भी प्रभावी अंकुश लगेगा।
उन्होंने बताया कि जनसहयोग से लगवाए जाने वाले सीसीटीवी कैमरों की फीड को भी पुलिस कंट्रोलरूम से जोड़ा जाएगा। सीसीटीवी कैमरों की स्थापना के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की गई है। हर जिले में अनसुलझी जघन्य घटनाओं को सूचीबद्ध कर उनका भी निर्धारित अवधि में अनावरण कराए जाने के निर्देश दिए गए हैं।
वहीं, आनलाइन गेमिंग के माध्यम से भी अवैध मतांतरण कराए जाने के बढ़ते मामलों के सवाल पर डीजीपी का कहना है कि ऐसे हर मामले की जांच पूरी गहनता से कराई जा रही है। एटीएस व साइबर क्राइम शाखा ऐसे मामलों पर अंकुश लगाने के लिए कार्ययोजना बना रही है।
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