लखनऊ: उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक (Brajesh Pathak) ने भ्रष्टाचार के आरोपों में लिप्त अयोध्या के राजर्षि दशरथ स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय के प्रधानाचार्य (Principal of Ayodhya Medical College) को पद से हटा दिया है। उन्हें चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशालय से संबद्ध किया गया है। साथ ही, कॉलेज में तैनात संविदा लिपिक की मौत के मामले में भी जांच आदेशित की गई है। लिपिक के परिवार ने प्रधानाचार्य पर प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगाए थे।
जांच और कार्रवाई
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने अयोध्या मेडिकल कॉलेज में प्रधानाचार्य के खिलाफ की गई कार्रवाई को गंभीरता से लिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि शासन की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत यह कदम उठाया गया है। डॉ. ज्ञानेन्द्र कुमार, जो कि अब तक कॉलेज के प्रधानाचार्य थे, को तत्काल प्रभाव से उनके पद से हटा दिया गया है और उन्हें चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशालय से संबद्ध किया गया है।
प्रधानाचार्य के खिलाफ लगे थे कई गंभीर आरोप
प्रधानाचार्य के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगे थे, जिनमें उनकी ओर से अनुमोदित फर्मों से औषधियों, हाउस कीपिंग सेवाओं, बायोमेडिकल वेस्ट और मरीजों के खानपान के भुगतान को लटकाए रखने के अलावा लंबित बिलों के भुगतान में कमीशन की मांग की गई थी। इस मामले की शिकायत के बाद शासन ने 17 मई 2024 को एक त्रिसदस्यीय जांच समिति गठित की थी। इस समिति में अपर निदेशक, चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण, वित्त नियंत्रक, चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण, लखनऊ, और अपर जिलाधिकारी (एफ०आर०), अयोध्या शामिल थे।
जांच रिपोर्ट और आगे की कार्रवाई
समिति ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट लोकायुक्त को भेज दी थी, और इस रिपोर्ट को 23 सितंबर 2024 को निर्णय के लिए प्रेषित किया गया था। अब इस प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए डिप्टी सीएम ने त्वरित कार्रवाई की है। इसके अलावा, संविदा लिपिक प्रभुनाथ मिश्र की मृत्यु के आरोपों की भी जांच कराई जाएगी, जो प्रधानाचार्य द्वारा कथित प्रताड़ना का शिकार होने का दावा कर रहे हैं।
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