मुकेश कुमार, संवाददाता गोरखपुर । चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ऋतुराज वसंत प्रकृति को अपने गोद में समेट नवाचार की अनुभूति कराते है। ब्रह्मा द्वारा सृष्टि की रचना, मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक, धर्मराज युधिष्ठिर का पदारूढ़ होना, विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत् पंचांग की शुरुआत करना ये सभी बताते हैं कि नव वर्ष आ गया। मानव ही नहीं, बल्कि प्रकृति भी नववर्ष का स्वागत करती है। विक्रम संवत् २०८२ शक संवत् १९४७ तद्नुसार ३० मार्च २०२५ दिन रविवार नूतन वर्ष की देशवासियों को हार्दिक बधाई मंगलमय शुभकामनाएं।
उक्त विचार गुरुकृपा संस्थान के संस्थापक सामाजिक कार्यकर्ता बृजेश राम त्रिपाठी एवं अखिल भारतीय क्रांतिकारी सम्मान संघर्ष मोर्चा के महानगर अध्यक्ष मनीष जैन ने व्यक्त किया।
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गोरखपुर जर्नलिस्ट प्रेस क्लब शास्त्री चौक के सभागार में आयोजित संयुक्त पत्रकार वार्ता में नेताद्वय ने कहा कि पूरी दुनिया में फैले सनातन धर्मावलंबी नववर्ष को बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाते हैं। सनातन धर्म में हिंदू नववर्ष चैत्र मास शुक्ल पक्ष प्रतिप्रदा से प्रारंभ होता है।हमारा नव वर्ष की परम्परा प्राचीन काल से है। नव वर्ष सृष्टि की रचना के समय से ही लगभग 1 अरब 97 करोड़ वर्ष पूर्व से मनाया जाता है। जबकि न्यू ईयर की परम्परा तो मात्र 2025 साल से बाजार और पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से शुरू हुआ। अंग्रेजी कैलेंडर से हिन्दू नव वर्ष करीब 57 वर्ष आगे चलता है। नया साल की शुरुवात सबेरे से होता है ना कि कड़कड़ाती ठंड की मध्य रात्रि से।
भारतीय नव वर्ष के आगमन पर गुरुकृपा संस्थान एवं सनातन ग्रन्थालय द्वारा नववर्षाभिनंदन के तहत विभिन्न कार्यक्रमआयोजित किए जाएंगे। भगवान श्रीराम के प्राकट्य दिवस चैत्र रामनवमी के अवसर पर राम लला के बाल स्वरूप का झांकी दर्शन, सोहर बधाई होगा तो वहीं वासंतिक नवरात्रि पर देवी शक्ति की उपासना होगी।
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जिस देश समाज में नारी शक्ति की उपासना पद्धति वर्ष में दो बार नवरात्रि के रूप में हो वहीं लिंग भेद के नाते कन्या भ्रूण हत्या सभ्य समाज के माथे पर कलंक है। कन्या भ्रूण हत्या पर प्रभारी रोक स्वतः स्फूर्ति हो इस निमित्त महिलाओं विशेषतः ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक जनजागरण अभियान चलाकर नारी के सम्मान स्वाभिमान और स्वावलंबन की पटकथा लिखी जाएगी।
अपना देश जब गुलाम था तब हिन्दू संस्कारों का उतना पतन नहीं हुआ जितना आजादी के बाद हुआ। 1947 में अंग्रेजों ने सत्ता का हस्तांतरण किया, देश राजनैतिक रूप से आजाद तो हुआ किंतु सांस्कृतिक रूप से आज भी हम गुलाम हैं। युवा पीढ़ी को नशा के आगोश में धकेला जा रहा है।
विकाश के नाम पर प्रकृति का विनाश किया जा रहा है। जीव, जल, जंगल, जमीन, जलवायु, पशु, पक्षी, पर्यावरण सब प्रदूषित हो रहे हैं, ग्लोबल वार्मिंग से पृथ्वी को बुखार हो रहा है।
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नववर्ष के अवसर पर गुरुकृपा संस्थान और उसके सभी प्रकल्पों, उप संगठनों का सामूहिक संकल्प और आमजन से आह्वान है कि पौधरोपण, जल संचय, जीव, जंगल, जमीन, जलवायु, पशु, पक्षी, पर्यावरण का संरक्षण और संवर्धन किया जाएगा। ग्रीनरी हैवन और एक्सपर्ट ओमेंस द्वारा धरती को स्वर्ग, भारत को विश्व गुरु बनाकर नए भारत की नींव को मजबूत बनाने में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करना सामाजिक जिम्मेदारी है।
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