लखनऊ स्थित इलाहाबाद हाई कोर्ट की खंडपीठ ने सैय्यद सालार मसूद गाजी की दरगाह (Syed Salar Masood Ghazi Dargah) पर हर साल लगने वाले पारंपरिक जेठ मेले को लेकर अहम निर्देश जारी किए हैं। अदालत ने दरगाह प्रबंधन समिति को इस वर्ष मेला आयोजित करने की अनुमति देने से इंकार कर दिया है।
श्रद्धालुओं की आवाजाही पर रोक नहीं
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि दरगाह पर आने-जाने वाले श्रद्धालुओं की आवाजाही पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। श्रद्धालु दर्शन के लिए आ-जा सकते हैं, लेकिन उन्हें वहां ठहरने की इजाजत नहीं दी जाएगी। यह निर्देश कोर्ट की ओपन सुनवाई के दौरान दिया गया।
धार्मिक स्थलों की यात्रा पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता: कोर्ट
अदालत ने टिप्पणी की कि किसी भी धार्मिक स्थल पर आम नागरिकों की आवाजाही पर रोक नहीं लगाई जा सकती। हालांकि, बड़े धार्मिक आयोजनों जैसे मेलों के लिए प्रशासनिक अनुमति जरूरी होती है। इस वर्ष, जेठ मेले को लेकर ऐसी अनुमति नहीं दी गई है।
दरगाह कमेटी ने दी थी चुनौती
दरगाह कमेटी और क्षेत्रीय लोगों ने प्रशासन द्वारा मेले को रोकने के निर्णय को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका में तर्क दिया गया था कि यह मेला वर्षों से धार्मिक परंपरा के तहत आयोजित होता आ रहा है और इसे बिना ठोस कारण के रोका जाना नागरिकों की धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है।
अंतिम फैसला 19 मई को
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह माना कि मेले का आयोजन धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है। ऐसे आयोजनों को बिना किसी विशेष कारण या खतरे के रोका नहीं जाना चाहिए। फिलहाल अदालत ने इस मामले में आदेश सुरक्षित रखा है और 19 मई को अंतिम निर्णय सुनाया जाएगा।
प्रशासन को निर्देश
साथ ही, अदालत ने प्रशासन को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो और उन्हें सभी जरूरी सुविधाएं मिलें। धार्मिक भावना का सम्मान बनाए रखने की बात भी अदालत ने दोहराई।