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Sambhal: शाही जामा मस्जिद पर गहराया विवाद, अदालत में नमाज रोकने की उठी मांग

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के संभल (Sambhal) जिले में स्थित शाही जामा मस्जिद (Shahi Jama Masjid)  को लेकर एक बार फिर विवाद गहराता जा रहा है। हाल ही में एक याचिका दाखिल कर मस्जिद में सामूहिक नमाज पर अस्थायी रूप से रोक लगाने की मांग की गई है। यह याचिका सिमरन गुप्ता (Simran Gupta) द्वारा चंदौसी की अदालत में दायर की गई है। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि जब तक यह स्पष्ट नहीं हो जाता कि विवादित स्थल मस्जिद है या प्राचीन मंदिर, तब तक किसी भी धार्मिक क्रियाकलाप की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

मस्जिद को सील कर प्रशासन के हवाले करने की मांग

सिमरन गुप्ता की ओर से पेश वकील बाबू लाल सक्सेना ने बताया कि उनके मुवक्किल का मानना है कि अदालत ने जब इस स्थल को “विवादित” माना है, तो दोनों पक्षों को समान रूप से धार्मिक गतिविधियों से रोका जाना चाहिए। याचिका में यह भी मांग की गई है कि स्थल को सील कर जिलाधिकारी की निगरानी में दे दिया जाए, ताकि किसी भी पक्ष द्वारा नियमों का उल्लंघन न हो। इस याचिका पर अदालत ने सुनवाई के लिए 21 जुलाई 2025 की तारीख तय की है।

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हरिहर मंदिर होने का दावा और पुरातात्विक साक्ष्य

यह मामला नवंबर 2023 में तब सुर्खियों में आया था जब आठ हिंदू याचिकाकर्ताओं ने अदालत में दावा किया कि शाही जामा मस्जिद असल में हरिहर मंदिर के अवशेषों पर बनी है। उन्होंने यह भी कहा कि यहां मंदिर से जुड़े पुरातात्विक साक्ष्य मौजूद हैं। इस दावे के आधार पर अदालत ने दो बार स्थल का सर्वेक्षण करवाया था, पहला 19 नवंबर और दूसरा 24 नवंबर 2023 को।

सर्वे के दौरान हिंसा, चार मौतें और भारी गिरफ्तारी

24 नवंबर को हुए दूसरे सर्वेक्षण के दौरान भारी हिंसा भड़क गई थी, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी और 29 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। इसके बाद स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए प्रशासन ने सख्त कदम उठाए। समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क, मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष जफर अली सहित 2750 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। अब तक इस मामले में 96 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है।

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सरकार और अदालत की भूमिका

इस मामले में ट्रायल कोर्ट द्वारा विवादित स्थल का सर्वे करवाने का आदेश दिया गया था, जिसे बाद में हाईकोर्ट ने भी उचित ठहराया। योगी सरकार ने भी कोर्ट के निर्देशों का पालन करने का भरोसा दिलाया है। अब सबकी नजरें 21 जुलाई को होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं, जहां तय होगा कि विवाद के समाधान तक मस्जिद में धार्मिक गतिविधियों पर रोक लगाई जाएगी या नहीं।

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