UP: औद्योगिक विकास मंत्री नंदी ने खोला मोर्चा, अब स्मार्ट फोन की जगह टैबलेट खरीद पर उठाए सवाल, विभाग ने दी सफाई

उत्तर प्रदेश सरकार के औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता ‘नंदी’ (Nand Gopal Gupta Nandi) ने एक बार फिर अफसरशाही पर निशाना साधते हुए कई गंभीर आरोप लगाए हैं। मंत्री नंदी ने स्मार्टफोन की जगह टैबलेट की खरीद, लखनऊ औद्योगिक विकास प्राधिकरण (लीडा) के मास्टरप्लान में कथित बदलाव और एक कंपनी को एफडीआई नीति के तहत बैकडेट से सब्सिडी देने को लेकर सवाल खड़े किए हैं।

मंत्री के आरोपों को विभाग ने किया खारिज

वहीं, संबंधित विभाग ने मंत्री के आरोपों को खारिज करते हुए सफाई दी है कि सभी निर्णय नियमानुसार और उच्च स्तर की अनुशंसा के बाद लिए गए हैं। विभाग का कहना है कि इन प्रस्तावों को कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा गया है और अंतिम स्वीकृति के बाद ही उन्हें लागू किया जाएगा।

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स्मार्टफोन की जगह टैबलेट की खरीद

मंत्री नंदी के अनुसार, जनवरी 2022 में कुंभ कैबिनेट बैठक में तय हुआ था कि छात्रों को 25 लाख स्मार्टफोन दिए जाएंगे। लेकिन पांच महीने बाद विभाग ने अचानक स्मार्टफोन की जगह टैबलेट खरीदने का प्रस्ताव रख दिया। इस दौरान 7.18 लाख स्मार्टफोन बिना वितरित पड़े थे, जबकि स्टॉक में सिर्फ 1.04 लाख स्मार्टफोन बचे थे।

मंत्री ने कहा कि स्मार्टफोन की मांग 27 लाख और टैबलेट्स की मात्र 7 लाख थी। इस बदलाव की वजह से वित्त वर्ष 2024-25 के अंतिम महीने में 3100 करोड़ रुपये का बजट लैप्स हो गया। हालांकि, विभागीय सूत्रों का कहना है कि यह निर्णय शीर्ष स्तर पर इसलिए लिया गया कि बच्चों में मोबाइल से रील देखने की लत न बढ़े, इसलिए टैबलेट को प्राथमिकता दी गई।

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लीडा मास्टरप्लान-2041 में बदलाव

मंत्री नंदी ने आरोप लगाया कि लीडा के मास्टरप्लान-2041 में ग्रीन बेल्ट को लेकर मनमाने तरीके से संशोधन किए गए। उनके अनुसार, यूपीसीडा को आपत्तियां निपटाने के लिए भेजी गई फाइल में बाद में अफसरों ने ‘गलतियों के सुधार’ के नाम पर कुछ जगह ग्रीन बेल्ट बढ़ा दी और कुछ स्थानों पर ग्रीन बेल्ट में जमीन इंस्टीट्यूट को दे दी गई। नंदी का कहना है कि अगर बदलाव जरूरी थे, तो फाइल को दोबारा यूपीसीडा के जरिए भेजा जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

एफडीआई नीति के तहत सब्सिडी में गड़बड़ी का आरोप

तीसरे मामले में मंत्री ने फूजी सिल्वरटेक कंपनी को एफडीआई नीति के तहत बैकडेट से 75% सब्सिडी देने पर आपत्ति जताई है। उन्होंने आरोप लगाया कि कंपनी को यमुना एक्सप्रेसवे के पास करीब 79,000 वर्ग मीटर जमीन दी गई और उसने 100 करोड़ रुपये की पात्रता के बजाय केवल 15 करोड़ रुपये का निवेश किया।

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बाद में मंत्रिपरिषद ने नीति में संशोधन कर ‘फिक्स्ड कैपिटल इन्वेस्टमेंट’ (FCI) को एफडीआई नीति में शामिल कर दिया। लेकिन मंत्री का कहना है कि नीति में संशोधन के पहले की तारीख से कंपनी को लाभ दे दिया गया, जबकि इसी तरह के एक मामले में कैनपेक इंडिया को लाभ नहीं दिया गया।

विभाग ने मंत्री के आरोपों को बेबुनियाद बताया है और कहा है कि सभी संशोधन नियमानुसार हुए हैं। विभाग का कहना है कि सभी फैसले मंत्रिपरिषद की मंजूरी के अधीन हैं और नियमों का पूरी तरह पालन किया गया है।

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