हाथरस कांड में लगातार ही टीमें जांच कर रहीं हैं। हाल ही में मथुरा से पुलिस ने पीएफआई के ऐसे सक्रिय सदस्यों को गिरफ्तार किया था जोकि हाथरस में पत्रकार बनकर रिपोर्टिंग कर रहे थे। इनके पास से अपत्तिजनक सामान भी बरामद किया गया, जिसके बाद चारों को जेल भेज दिया। अब इन चारों सदस्यों से ईडी आज पूछताछ करेगी। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) ने मंगलवार को ईडी को इजाजत दी थी संतुष्ट होने तक ईडी चारों आरोपियों से पूछताछ करेगी।
ईडी ने तैयार की सवालों की लिस्ट
जानकारी के मुताबिक, 5 अक्टूबर को मांट टोल से पीएफआई के 4 सदस्य पकड़े गए थे। हाथरस जाते वक्त इन चारों की गिरफ्तारी हुई थी। इनमे मुजफ्फरनगर के नगला का रहने वाला अतीकउर्ररहमान, मल्लपुरम का निवासी सिद़दीकी, बहराइच जिले के जरवल का निवासी मसूद अहमद और रामपुर जिले की कोतवाली क्षेत्र के रहने वाले आलम शामिल हैं। इन सभी को गिरफ्तार करके अस्थाई जेल भेजा गया था।
बता दें कि दंगों की साजिश के मामले में गिरफ्तार 4 पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) सदस्यों से आज प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पूछताछ करने वाली है। ईडी ने जांच के लिए कुछ सवाल भी तैयार किए हैं, जैसे- जांच में पता चला पीएफआई के अकाउंट से विशेष उद्देश्य के लिए पैसे मिले, उद्देश्य क्या था? आप दिल्ली के PFI के जनरल सेक्रेटरी मोहम्मद इलियास के संपर्क में थे, इलियास से क्या बात होती थी? क्या आपको पता है कि इलियास दिल्ली दंगों की फंडिंग के आरोप में गिरफ्तार हुआ था?
पांच अक्टूबर को हुए थे अरेस्ट
गौरतलब है कि पांच अक्टूबर को मथुरा पुलिस को सूचना मिली थी कि कुछ संदिग्ध व्यक्ति दिल्ली से हाथरस की तरफ जा रहे हैं। इस पर टोल प्लाजा मांट के पास संदिग्ध वाहनों की चेकिंग की गई। स्विफ़्ट डिजायर गाड़ी में सवार चार युवकों को रोक कर पूछताछ की गई तो उनका संबंध पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और उसके सहयोगी संगठन कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) से होने की जानकारी मिली।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि उनके कब्जे से मोबाइल, लैपटाप और शांति व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला संदिग्ध साहित्य भी बरामद किया गया है। हाथरस के बहाने उत्तर प्रदेश में दंगों की अंतरराष्ट्रीय साजिश के खुलासे के बाद यूपी पुलिस ने बेहद गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। यह मुकदमा दंगों की साजिश करके प्रदेश में जातीय और सांप्रदायिक दंगे कराने, अराजकता फैलाने, दंगों के बहाने योगी सरकार को बदनाम करने, अफवाहें फैलाने, पीड़ित के परिवार को गुमराह कर सरकार के खिलाफ भड़काने, फर्जी तस्वीरों, फर्जी सूचनाओं, फोटोशाप्ड तस्वीरों की मदद से नफरत फैलाने के मामले में दर्ज हुआ है।
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