आगरा: 2 दर्जन बांग्लादेशियों को ला चुका है गिरफ्तार एजेंट कमरुल, 11 साल से सीमा पार से करा रहा था घुसपैठ, लेता था 30 से 40 हजार रुपए

भारत में बिना पासपोर्ट और वीजा के आने वाले बांग्लादेशी नागरिक पुलिस के साथ खुफिया एजेंसियों के रडार पर हैं। यूपी के आगरा (Agra) जनपद की आवास विकास कॉलोनी के सेक्टर-14 में 32 लोगों के पकड़े जाने से एक दिन पहले मथुरा में बांग्लादेश का कमरुल पकड़ा गया था। कमरुल एजेंट (Agent Kamrul) के रूप में काम करता था। कमरुल बांग्लादेश के खुलना जिले का रहने वाला है। पुलिस ने उससे मोबाइल फोन बरामद किया है। जिसमें एक सिम बांग्लादेश और दूसरी भारत की है। गिरफ्तारी से चार दिन पहले ही वह दो लोगों को घुसपैठ कराके आगरा छोड़ गया था।

11 साल से घुसपैठ कराने का काम कर रहा था कमरुल

दरअसल, सिकंदरा आवास विकास कालोनी के सेक्टर 14 स्थित बस्ती पर पुलिस ने छापा मारा था। वहां से 32 बांग्लादेशियों को गिरफ्तार किया था। इसके बाद खुफिया एजेंसी ने कमरूल के बारे में छानबीन शुरू की। उसके बारे में अहम जानकारी मिली हैं। वह 11 वर्ष से सीमा पार से घुसपैठ कराने का काम कर रहा था।

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अब तक दर्जनों बांग्लादेशियों को यहां पर लाया है। घुसपैठियों से वह 30 से 40 हजार रुपये लेता था। वह बांग्लादेश में रहने वाले रोहिंग्या शरणार्थियों को भी यहां लेकर आता था। एजेंट कमरूल से खुफिया एजेंसी विस्तृत पूछताछ की तैयारी कर रही हैं।

पूर्व में भेजे गए बांग्लादेशियों का सत्यापन कर रही पुलिस

सूत्रों ने बताया कि आवास विकास कालोनी में छापामार कार्रवाई के बाद पुलिस जगह-जगह बसी संदिग्ध झोपड़ियों की भी छानबीन कर रही है। पूर्व में जेल भेजे गए बांग्लादेशियों का सत्यापन कर रही है। पांच वर्ष पहले रुनकता से गिरफ्तार गाजी के गोदाम पर पुलिस को संदिग्ध युवक सलमान मिला है।

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पुलिस को शक है कि वह बांग्लादेशी है। पूछताछ की जा रही है। पुलिस ने वर्ष 2018 में रुनकता में छापा मारा था। बांग्लादेशी के सईद उल गाजी उसके पुत्र और पत्नी समेत छह लोगों को जेल भेजा था। एक वर्ष बाद वह जमानत पर बाहर आया था।

कमरुल ने रुनकता में बनवा लिया मकान

कमरुल वर्तमान में परिवार के साथ रुनकता में रह रहा है। उसने अपना मकान बनवा लिया है। दो वाहन एवं भूखंड भी हैं। पुलिस ने बुधवार को गाजी और उसके पुत्र को सत्यापन के लिए सिकंदरा थाने बुलाया था। उसके गोदाम पर काम करते सलमान नाम का संदिग्ध युवक मिला। वह खुद को दिल्ली का बता रहा है। पुलिस को शक है कि वह बांग्लादेशी है। पुलिस उससे पूछताछ की जा रही है। वहीं, गाजी को डिपोर्ट न करने के पीछे यहां चल रहा अभियोग है। गाजी और परिवार के खिलाफ दर्ज अभियोग का विचारण चल रहा है।

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मामले में प्रभारी निरीक्षक आनंद कुमार शाही ने बताया कि गाजी उसके पुत्र शमीम को बुलाया गया था। दोनों कबाड़ का काम करते हैं। पुलिस को गाजी के घर पर उसका दामाद भी मिला। उसके पास बांग्लादेश का पासपोर्ट है। वह वीजा पर आया है। जिसके चलते पुलिस ने उसे छोड़ दिया।

वहीं, पुलिस कमिश्नर डा. प्रीतिंदर सिंह के निर्देश पर सभी थानों ने सत्यापन का काम शुरु कर दिया है। इसके लिए रजिस्टर बनाए गए हैं। बीट प्रभारी से कहा गया है कि वह झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों का सत्यापन करें। वहां बताए गए पतों का संबंधित इलाके की पुलिस से सत्यापन कराया जाए। विवरण रजिस्टर में दर्ज कराएं।

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