जब 19 महीनों तक कैदियों के बीच रहे थे अरुण जेटली, जानें उनसे जुड़े 8 रोचक तथ्य

पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली (Arun Jaitley) की आज जयंती (Birth Anniversary) है. इसे मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत भारतीय जनता पार्टी के अन्य बड़े नेताओं ने उन्हें याद किया और श्रद्धांजलि दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा कि अरुण जेटली ने देश के विकास के लिए लगातार काम किया. अरुण जेटली को श्रद्धांजलि देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘मेरे दोस्त अरुण जेटली जी की जयंती पर उन्हें नमन. उनका व्यक्तित्व, ज्ञान, कानूनी समझ को हर कोई याद करता है. उन्होंने देश के विकास के लिए लगातार काम किया’. 


जेटली मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में ट्रबलशूटर रहे. वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह के बाद सरकार में तीसरे सबसे ताकतवर मंत्री माने जाते थे. गुड्स एंड सर्विसेज टैक्‍स यानी जीएसटी को लागू कराने का श्रेय उन्हीं को जाता है. वे पेशे से वकील थे, लेकिन कानूनी के साथ-साथ वित्तीय मामलों पर पकड़ रखते थे. उनके पास कुछ महीने वित्त के साथ-साथ रक्षा जैसे दो अहम मंत्रालय का प्रभार था. चार साल बाद जब राफेल का मुद्दा गरमाया, तब वे सरकार के लिए ट्रबलशूटर बनकर उभरे और संसद में विपक्ष के आरोपों के खिलाफ मोर्चा संभाला. वे लंबे समय तक भाजपा के प्रवक्ता रहे. वाजपेयी सरकार और मोदी सरकार में उन्होंने सूचना और प्रसारण मंत्रालय की जिम्मेदारी भी संभाली.


टैक्स रिफॉर्म का सबसे बड़ा जिम्मा जेटली को मिला

जब 1 जुलाई 2017 को केंद्र और राज्‍यों के 17 से ज्‍यादा इनडायरेक्‍ट टैक्‍स के बदले में जीएसटी लागू किया गया, तब जेटली ही वित्त मंत्री थे. उस समय तक जीएसटी 150 देशों में लागू हो चुका था. भारत 2002 से इस पर विचार कर रहा था. 2011 में यूपीए सरकार के समय तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने भी इसे लागू कराने की कोशिश की थी. लेकिन यह एनडीए की सरकार बनने के तीन साल बाद 2017 में लागू हो सका.


जब राफेल पर सवाल उठे तो मोर्चा संभाला

2018 में जेटली ने किडनी ट्रांसप्लांट कराया. उस वक्त वित्त मंत्रालय का जिम्मा पीयूष गोयल को मिल गया. आलोचक सवाल उठाने लगे कि देश में पूर्णकालिक वित्त मंत्री कौन है? कुछ महीने बाद जनवरी 2019 में जब राफेल लड़ाकू विमान के सौदे में भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे विपक्ष का विरोध मुखर होने लगा तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या तत्कालीन रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की जगह जेटली संसद में मोर्च पर आ गए. उन्होंने लोकसभा में राफेल पर बहस के दौरान कहा, ‘‘कांग्रेस को जहाज और लड़ाकू जहाज के बीच का मौलिक अंतर ही नहीं पता. हमारे समय जो पहला विमान हमें मिलेगा, उसकी कीमत यूपीए के समय तय किए गए बेसिक विमान से 9% कम होगी. वेपनाइज्ड विमान की कीमत 20% तक कम होगी.’ उन्होंने इस मुद्दे पर सवाल उठा रही कांग्रेस से नेशनल हेराल्ड, अगस्ता-वेस्टलैंड और बोफोर्स पर सवाल पूछ लिए। फरवरी में ही अंतरिम बजट के बाद जेटली ने दोबारा वित्त मंत्रालय का प्रभार संभाल लिया.


यूपीए सरकार के वक्त मोदी-शाह का बचाव करने वालों में जेटली सबसे आगे रहे

माना जाता है कि गुजरात के गोधराकांड और दंगों के बाद जेटली उन चुनिंदा नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने पार्टी के अंदर तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का बचाव किया था. इसके बाद 2004 से 2014 के बीच यूपीए सरकार के वक्त वे सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस, तुलसी प्रजापति एनकाउंटर केस, इशरत जहां एनकाउंटर केस जैसे मामलों में मोदी और शाह का बचाव करने वालों में सबसे आगे रहे.


जेटली के पिता भी वकील थे

जेटली का जन्म 28 दिसंबर 1952 को नई दिल्ली में हुआ था. उनके पिता महाराजा किशन जेटली और मां रतन प्रभा थीं. जेटली के पिता भी वकील थे. जेटली ने स्कूली शिक्षा नई दिल्ली के सेंट जेवियर्स स्कूल से पूरी की. 1973 में श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से ग्रेजुएशन किया. उन्होंने 1977 में दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री ली. 24 मई 1982 को उनका विवाह संगीता जेटली से हुआ। उनका एक बेटा रोहन और बेटी सोनाली है.


1973 में जेपी आंदोलन में संयोजक बने

अरुण जेटली 1973 में भ्रष्टाचार के विरुद्ध लोकनायक जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति आंदोलन के लिए गठित राष्ट्रीय समिति के संयोजक थे. वे 1974 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष बने। 1975 से 1977 के बीच 19 महीने तक मीसा में बंदी रहने के बाद जनसंघ में शामिल हो गए.


1991 में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का हिस्सा बने

जेटली 1991 से भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे. 1999 के आम चुनाव से पहले वे प्रवक्ता बने. 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहे. 2000 में वे कैबिनेट मंत्री के तौर पर पदोन्नत हुए. इस दौरान कानून, न्याय और कंपनी मामलों के मंत्रालय का पदभार संभाला. 2004 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की हार के बाद जेटली पार्टी महासचिव बने। 2009 में राज्यसभा में विपक्ष के नेता बने.


2019 में लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया

2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें अमृतसर लोकसभा सीट से कांग्रेस नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह से हार का सामना करना पड़ा. इसके बावजूद मोदी सरकार में उन्हें वित्त और रक्षा मंत्री बनाया गया. 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया.


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