भाजपा नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी को पत्र लिख 10 बिन्दुओं पर उनकी राय स्पष्ट करने करने की मांग की है. अश्विनी उपाध्याय ने अपने पत्र में लिखा..
माननीय राहुल गाँधी जी, नमस्ते!
देशहित और जनहित में कृपया निम्नलिखित 10 विषयों पर अपनी राय स्पष्ट करें.
1. क्या आप सहमत हैं कि वर्तमान संसद सत्र में एक जनसँख्या नियंत्रण कानून बनाना चाहिये?
2. क्या आप सहमत हैं कि सभी भारतीयों के लिए एक समान नागरिक संहिता लागू होना चाहिए?
3. क्या आप “एक देश एक नाम एक निशान एक राष्ट्रगान एक विधान एक संविधान” चाहते हैं?
4. क्या आप सहमत हैं कि 25 साल से अधिक पुराने सभी कानूनों को तत्काल रिव्यु करना चाहिए?
5. क्या आप सहमत हैं कि 14साल तक के सभी बच्चों के लिए समान शिक्षा (एक देश एक शिक्षा) लागू करना चाहिये और प्रत्येक जिले में प्रतिवर्ष एक नया केंद्रीय विद्यालय खोलना चाहिए?
6. क्या आप सहमत हैं कि अंधविश्वास-पाखंड फ़ैलाने वालों तथा धर्मांतरण कराने वालों की 100% संपत्ति जब्त करने और उन्हें आजीवन कारावास की सजा देने के लिए एक अंधविश्वास-कालाजादू विरोधी कानून और एक धर्मांतरण विरोधी कानून वर्तमान संसद सत्र में ही बनाना चाहिये?
7. क्या आप सहमत हैं कि सजायाफ्ता व्यक्ति के चुनाव लड़ने, राजनीतिक दल बनाने और पार्टी पदाधिकारी बनने पर आजीवन प्रतिबंध होना चाहिए तथा चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता और अधिकतम आयु सीमा का निर्धारण होना चाहिए?
8. क्या आप सहमत हैं कि भ्रष्टाचार और अलगाववाद को जड़ से समाप्त करने के लिए 100 रुपये से बड़ी नोट और 10 हजार रुपये से महँगी वस्तुओं का कैश लेन-देन तत्काल बंद करना चाहिए?
9. क्या आप सहमत हैं कि एक लाख रूपये से महंगी वस्तुओं और संपत्तियों को आधार से लिंक करने के लिए वर्तमान संसद सत्र में ही एक कानून बनाना चाहिए?
10. क्या आप सहमत हैं कि अलगाववादियों, नक्सलियों, पत्थरबाजों, घूसखोरों, जमाखोरों, मिलावटखोरों, नशे के सौदागरों, मानव तस्करों, हवाला कारोबारियों, कालाबाजारियों तथा बेनामी प्रॉपर्टी और आय से अधिक संपत्ति के मालिकों की 100% संपत्ति जब्त करने और उन्हें आजीवन कारावास की सजा देने के लिए संबंधित कानूनों में तत्काल बदलाव करना चाहिए?
आशा करता हूँ कि उपरोक्त प्रश्नों का उत्तर आप शीघ्र देंगे. धन्यवाद और आभार! अश्विनी
बता दें, अश्विनी उपाध्याय ने समान शिक्षा, समान चिकित्सा, समान नागरिक संहिता, तीन तलाक, बहुविवाह, हलाला, मुताह, शरिया अदालत, आर्टिकल 35A, आर्टिकल 370, जनसंख्या नियंत्रण तथा चुनाव सुधार, प्रशासनिक सुधार, पुलिस सुधार, न्यायिक सुधार और शिक्षा सुधार पर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में 50 से अधिक जनहित याचिकाएं दाखिल की हैं. इन्हें भारत का ‘पीआईएल मैन’ भी कहा जाता है.
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