मोदी सरकार के फैसले पर आजम का तंज, बोले- मदरसे नहीं पैदा करते नाथूराम गोडसे और प्रज्ञा ठाकुर जैसे लोग

मोदी सरकार के देश के सभी मदरसों को मुख्यधारा की शिक्षा से जोड़ने के फैसले को लेकर जहां मुसलमानों के बड़े संगठन जमीयत उलेमा ए हिंद ने खुशी जाहिर की है। वहीं, दूसरी तरफ समाजावादी पार्टी के कद्दावर नेता और रामपुर से सांसद आजम खां ने इस फैसले पर तंज कसा है। आजम खां (Azam khan) ने महात्मा गांधी के हत्यारे और बीजेपी की नवनिर्वाचित सांसद का जिक्र करते हुए कहा कि मदरसे नाथूराम गोडसे और प्रज्ञा ठाकुर जैसे लोगों को पैदा नहीं करते।


आजम खां का प्रज्ञा ठाकुर पर हमला

न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत के दौरान आजम खां ने कहा कि मदरसे नाथूराम गोडसे के स्वभाव वालों या भोपाल से भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर जैसी शख्सियतों को पैदा नहीं करते। उन्होंने कहा कि पहले तय करें कि नाथूराम गोडसे के विचारों का प्रचार करने वाले लोकतंत्र के दुश्मन घोषित किए जाएंगे तो आतंकवादी गतिविधियों के लिए दोषी करार दिए गए लोगों को इनाम नहीं दिया जाएगा।


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इस दौरान आजम खान (Azam khan) ने कहा कि अगर केंद्र सरकार मदरसों की मदद करना चाहती है तो उन्हें बेहतर बनाना होगा। आजम ने कहा कि मदरसों में धार्मिक शिक्षा के साथ अंग्रेज़ी, हिन्दी और गणित भी पढ़ाया जाता है, यह हमेशा से होता रहा है। उन्होंने कहा कि अगर आप मदद करना चाहते हैं तो उनका स्तर सुधारिए और मदरसों के लिए इमारतें बनवाइए, उनके लिए फर्नीचर और मिड-डे मील उपलब्ध कराने का बंदोबस्‍त कीजिए।


मौलाना महमूद मदानी ने किया फैसले का स्वागत

बता दें कि मुसलमानों के बड़े संगठन जमीयत उलेमा ए हिंद संगठन के जनरल सेक्रेटरी मौलाना महमूद मदानी ने कहा है कि मुसलमानों को राष्ट्र निर्माण का हिस्सा होना चाहिए और यह तभी संभव है जब उनकी क्षमता को विकसित किया जाएगा इसके अलावा उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण में शिक्षा का एक महत्वपूर्ण योगदान रहता है।


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हाल ही में भारतीय सरकार ने यह ऐलान किया है कि अब मदरसों में भी पढ़ाने वाले शिक्षकों को एक खास ट्रेनिंग दी जाएगी जिसके अंतर्गत उन्हें कंप्यूटर अंग्रेजी हिंदी मैथ सब्जेक्ट पढ़ाने की भी ट्रेनिंग दी जाएगी ताकि वह मदरसों में भी इस तरीके के विषयों को पढ़ा सके और वहां पर भी देश में नौजवानों को अच्छे से तैयार किया जा सके और इसी को लेकर मदनी ने कहा है कि सिर्फ घोषणा तक नहीं सीमित करना चाहिए बल्कि इस पर एक्शन लेते हुए लागू करना चाहिए और अगर ऐसा होता है तभी सबका साथ सबका विकास नारा सही साबित होगा।


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