OPINION: भाजपा ने मुख्यमंत्री चयन के माध्यम से हैरान किया

पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में तीन प्रमुख राज्यों में भाजपा को अप्रत्याशित विजय मिली। भाजपा ने ये चुनाव प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में लड़ा था और राज्य में किसी भी नेता को मुख्यमंत्री के रूप में प्रस्तुत नहीं किया गया था। विपक्ष के लिए ये भी हैरान करने वाली बात थी कि कई सांसदों को भी जिनमें कुछ तो मंत्री थे पार्टी ने विधानसभा का चुनाव लड़ने का आदेश दिया था। कई बड़े चेहरे जीते तो मुख्यमंत्री कौन होगा ? भाजपा की विजय के साथ ही मुख्य धारा और सोशल मीडिया के सूत्र अटकलें लगाने लगे। मुख्यमंत्री चयन की प्रक्रिया में देरी, राजस्थान में वसुंधरा के घर हलचल और मध्य प्रदेश में शिवराज जी की दिल्ली न जाने की घोषणा ने राजनैतिक विश्लेषकों और भविष्यवक्ताओं को काम पर लगा रखा था। मीडिया के सूत्र प्रतिदिन सुबह से शाम तक चार-पांच नाम चलाते और पीछे करते रहते थे। इन्हीं अटकलों के बीच जब भाजपा ने तीनों प्रान्तों के लिए पर्यवेक्षकों की घोषणा की तो मीडिया उसमें भी कथा कहानी ढूँढने लगा किन्तु उनका भी कोई आधार नहीं था।

अब जब तीनों प्रान्तों के विधायक दलों की बैठक हो चुकी है और उनको नए मुख्यमंत्री तथा उप मुख्यमंत्रियों के नाम मिल चुके हैं मीडिया और विपक्ष दोनों ही हैरान खड़े हैं। ये नाम कहीं भी किसी भी चर्चा में दूर दूर तक नहीं आए थे। उनके विषय में बताने के लिए टी वी चैनल गूगल का सहारा ले रहे थे। विपक्षी खेमे हड़कंप मचा हुआ है कि बिना किसी गुटबाजी के भाजपा अपने नये चेहरे कैसे चुन रही है। सभी टीवी चैनलों पर कौन बनेगा मुख्यमंत्री पर तरह तरह के विष्लेषण चल रहे थे किंतु अब सभी विष्लेषक हैरान हो गये हैं और यह भी चर्चा करने लग गये हे कि वो लोग टी वी पर जिस भी चेहरे को आगे कर देते हैं भाजपा में वह चेहरा पीछे छूट जाता है और फिर एकदम नया चेहरा सामने आ जाता है। अब देश के मीडिया जगत के बड़े नामों को यह बात समझ में आ जानी चाहिए कि वर्तमान समय की भारतीय राजनीति में यदि कोई सबसे बड़ा चुनावी सर्वे करने वाला और राजनीतिक भविष्यावाणी करने कोई व्यक्ति है तो वह प्रधानंमत्रीं नरेंद्र मोदी ही हैं। बेहद विपरीत परिस्थितियों के बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व व उनके धुआधांर प्रचार की बदौलत ही भाजपा की तीनों राज्यों में जोरदार वापसी हुई है।

छतीसगढ़

भारतीय जनता पार्टी ने सबसे पहले छत्तीसगढ़ में एक बड़े आदिवासी नेता विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बनाकर चौंकाया और फिर अरूण साव और विजय शर्मा को उपमुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव रखा गया। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को विधानसभा अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव करके सभी प्रकार की अटकलों पर विराम लगा दिया गया। आदिवासी समाज का प्रतिनिधित्व करने वाली आदरणीय द्रौपदी मुर्मू जी को राष्ट्रपति बनाने का लाभ भाजपा को छत्तीसगढ़ में मिला और वहां की आदिवासी बहुल क्षेत्रों की अधिकांश सीटों पर भाजपा को विजयश्री प्राप्त हुई। सबसे बड़ी बात यह है कि आदिवासी बहुल राज्य छत्तीसगढ़ में राज्य का गठन हेने के बाद से एक आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग की जा रही थी जिसे अब भाजपा ने विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बनाकर पूरा कर दिया है।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय आदिवासी हैं और किसान परिवार से है। वह कुनकुरी विधानसभा सीट से जीते हैं वहीं वह 1999 से 2014 तक रायगढ़ लोकसभा सीट से सांसद भी रहे। वह पूर्व में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भी रहे हैं। चुनाव प्रचार के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने जनता से अपील की थी कि आप साय को जितायें तो हम उन्हें बड़ा आदमी बना देंगें। अब साय मुख्यमंत्री बन गये हैं।

यदि समग्र दृष्टि डाली जाये तो यह पता चलता है कि बिना किसी चेहरे को आगे किये चुनाव लड़ रही भाजपा ने प्रचार के दौरान ही यह तय कर लिया था कि अगर सरकार बनती है वह राज्य की कमान किसे सौपेगी। साय का नाम भी किसी टीवी चैनल की डिबेट में नहीं चल रहा था। यहां पर भाजपा ने बिना किसी विशेष तैयारी के चुनाव लड़ा फिर भी शानदार विजय प्राप्त की और चुनावों के बाद रमन सिंह जी के प्रभाव से मुक्ति भी पा ली है हालांकि भाजपा ने रमन सिंह जी को दरकिनार नहीं किया है और उन्हें विधानसभा अध्यक्ष जैसा पद देकर उनका सम्मान बनाए रखा है। दूसरी सबसे बड़ी बात यह है कि साय का परिवार संघ से जुड़ा रहा है। उनके पिता और दादा भी संघ के स्वयंसेवक रहे हैं तथा राम मंदिर आंदोलन के आरंभिक दिनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

मध्य प्रदेश

विधानसभा चुनावों में ऐतिहासिक विजय के बाद भारतीय जनता पार्टी ने भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के स्थान पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक रहे उज्जैन दक्षिण के विधायक डॉ मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाकर सभी को हैरान कर दिया है। मध्य प्रदेश में यह माना जा रहा था कि चुनाव प्रचार के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को उनके परिश्रम का प्रतिफल दिया जा सकता है और संभवतः वे लोकसभा चुनावों तक मुख्यमंत्री बने रहेंगे किंतु ऐसा कुछ नहीं हुआ और मामा जी को एक नए चेहरे के लिए अपनी दावेदारी से पीछे हटना ही पड़ा। मध्य प्रदेश में विरोधी प्रचार करने में जुट गये थे कि भाजपा में गुटबाजी के कारण नेता चयन में देरी हो रही है किंतु जब मोहन यादव के नाम का ऐलान हुआ तो सभी लोग हैरान रह गये। उत्तर प्रदेश और बिहार में यादव समाज के बड़े नेता परेशान हैं कि अब आगामी लोकसभा चुनावों में भाजपा एक यादव मुख्यमंत्री के सहारे अपनी राजनीति को आगे बढ़ाने जा रही है। मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं जिसमें पहला यह है कि अब मध्य प्रदेश में बीजेपी को एक नया चेहरा मिल चुका है विगत चुनावों के दौरान कांग्रेस मामा जी पर भ्रष्टाचार व घोटालों के आरोप लगा रही थी और चुनाव प्रचार के दौरान 40 प्रतिशत कमीशन खाने वाली सरकार कहकर बीजेपी को घेरने का प्रयास कर रही थी अतःअब ऐसे सभी आरोपों से फिलहाल राहत मिल गयी है।

दूसरा भाजपा ने मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाकर उत्तर प्रदेश व बिहार के यादव मतदाताओं को साधने का जोरदार प्रयास किया है। राजनैतिक विश्लेषकों का अनुमान है कि मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाये जाने के कारण यूपी में सपा के लिए चुनौती बढ़ने जा रही है। यह बात समाजवादी नेता भी मान रहे हैं कि यूपी, बिहार व हरियाणा के यादव मतदाताओं को लुभाने की रणनीति के तहत ही मोहन यादव को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया है। उत्तर प्रदेश में इनकी संख्या 10- 12 प्रतिशत, बिहार में 14.26 प्रतिशत और हरियाणा में 10 प्रतिशत के आसपास है। अभी तक यूपी में अखिलेश यादव और बिहार मे लालू यादव ही अपने आपको यादवों का एकमात्र बड़ा नेता घोषित करते आ रहे थे किंतु अब भाजपा के पास भी एक यादव नेता है और वह है मोहन यादव। मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाकर व उनके साथ दो उपमुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने राज्य के मतदाताओं के बीच गजब की सोशल इंजीनियरिंग की है पिछली सरकार में जहां नरोत्तम मिश्रा ब्राह्मण चेहरा थे वहीं अब मोहन यादव की सरकार में राजेंद्र शुक्ल ब्राह्मण चेहरा बनकर उभरे हैं। वहीं जगदीश देवड़ा को उपमुख्यमंत्री बनाया गया जबकि पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मध्य प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष बनाये गये हैं।

मोहन यादव काफी पढ़े लिखे हैं और उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले से उनका सम्बंध है। जब मोहन यादव के नाम की घोषणा हुई तब उनके ससुराल सुल्तानपुर में भी उत्सव मनाया गया। मोहन यादव प्रख्यात संत एवं रामघाट स्थित सीताराम आश्रम के संस्थापक स्वामी आत्मानंददास उर्फ नेपाली बाबा के शिष्य हैं। 2016 में उज्जैन महाकुंभ के दौरान नेपाली बाबा ने मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनने का आशीर्वाद दिया था।

राजस्थान

लंबी बैठकों, मीडिया में महारानी की पार्टी तोड़ने की अफवाहों और तरह-तरह की अटकलों के बाद राजस्थान को भी नया चेहरा मिल गया है और वहां भी महारानी वसुधंरा राजे का राज अब समाप्त हो चुका है। वहां पर एक ब्राह्मण चेहरे भजन लाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने सभी राजनैतिक पंडितों को बुरी तरह से चौंका दिया है और वे सब टीवी चैनलों पर बैठकर अपना सिर खुजला रहे हैं कि आखिर भजन लाल शर्मा जी का नाम कैसे दौड़ में आ गया, वे पहली बार विधायक बने हैं और राज्य के मुख्यमंत्री बन गये। भजन लाल शर्मा जी के बारे में कहा जा रहा है कि वह संघ के करीबी हैं, चार बार महामंत्री रहे तथा संगठन में काफी सक्रिय रहे हैं। भजन लाल जी एक ब्राह्मण और नयी उर्जा से भरा चेहरा हैं। राजस्थान में करीब 12 प्रतिशत ब्राह्मण आबादी है जो संपूर्ण राज्य में फैली है । ब्राह्मण शांत मतदाता माना जाता है। राजस्थान की राजनीति में अभी तक केवल जाट, गुर्जर, दलित, मीणा आदि को लेकर ही चर्चाएं होती थीं किंतु अब भाजपा ने ब्राह्मण मुख्यमंत्री बनाकर सवर्ण समाज को संदेश दिया है क्योंकि उत्तर भारत की राजनीति में सवर्ण मतदाता भी अहम भूमिका निभाते हैं। राजस्थान में श्रीमती दिया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा को उपमुख्यमंत्री बनाया है। वासुदेव देवनानी जो चार बार के विधायक रहे हैं उन्हें विधानसभा अध्यक्ष बनाकर राज्य के सिंधी और मारवाड़ी समाज को भी साधने का सफल प्रयास किया गया है।

भाजपा ने तीनो ही राज्यों में एक नया चेहरा देकर दूसरी पीढ़ी के नेताओं को पार्टी की बागडोर सौंपने का सामर्थ्य दिखाया है, इस पीढ़ी के नेता इसे बड़ा मन दिखाकर या फिर अनुशासनबद्ध होकर स्वीकार कर रहे हैं जो भाजपा की अगले कई चुनावों तक सत्ता में रहने की इच्छाशक्ति को दिखाता है। भाजपा ने यह भी बता दिया है जो भी कार्यकर्ता शांत रहकर समर्पण से कार्य करता रहता है संगठन उसका ध्यान रखता है और कोई भी साधारण से साधारण व्यक्ति ऊंचे पद पर बैठाया जा सकता है। संगठन में अब किसी भी स्तर पर गुटबाजी का दौर नहीं चलने दिया जाएगा। टीवी चैनलों पर या सोशल मीडिया के माध्यम से जो लोग अपना प्रचार कर रहे थे वो सभी लोग मुख्यमंत्री पद की दौड़ से बाहर कर दिए गए हैं। भाजपा ने जातिवाद की राजनीति को ध्वस्त करने के लिए जोरदार सोशल इंजीनियरिंग की है और विपक्ष हिंदू समाज को बांटने के लिए जातिगत जनगणना की जो रट लगाये था उस पर भी नियंत्रण करने का सफल प्रयास किया है। ये भाजपा के भविष्य की तैयारी है।

( मृत्युंजय दीक्षित, लेखक, राजनीतिक जानकार व स्तंभकार हैं.)

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