जम्मू कश्मीर में दलितों की स्थिति को लेकर बीजेपी नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती से अनुच्छेद 35A पर उनकी राय स्पष्ट करने की मांग की है. उन्होंने मायावती ने पूछा कि कश्मीर में दलितों को कश्मीरियों की तरह अधिकार नहीं मिलते हैं, ऐसे में क्या अनुच्छेद 35A ख़त्म नहीं कर देना चाहिए.
मंगलवार को अश्विनी उपाध्याय ने इसे लेकर एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा “बहन @Mayawati जी, आर्टिकल 35A के कारण कश्मीर में कई दशक से रह रहे दलित भाइयों और बहनों को आज भी वहां के मूल निवासियों के बराबर अधिकार प्राप्त नहीं है. क्या आर्टिकल 35A को समाप्त कर देना चाहिए? दलित भाइयों और बहनों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए कृपया अपनी राय जरूर स्पष्ट करें”.
मायावती से अश्विनी उपाध्याय की यह मांग ऐसे वक्त पर आई है जब देश में अनुच्छेद 35A को लेकर घमासान मचा हुआ है वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पिछले दिनों को कहा था कि जम्मू-कश्मीर में गैर-स्थायी निवासियों के संपत्ति खरीदने पर रोक लगाने वाला अनुच्छेद 35 ए संवैधानिक रूप से दोषपूर्ण है और राज्य के आर्थिक विकास को बाधित कर रहा है. अनुच्छेद 35A का मुद्दा उठते ही एक दूसरे के राजनीतिक विरोधी उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती की पार्टी का जैसे गठबंधन हो गया. धमकियां देने और देश को कश्मीर पर डर दिखाने वाली बातों के साथ दोनों पार्टियां सड़क पर उतर आयीं हैं.
क्या है आर्टिकल 35A?
- अनुच्छेद 35A से जम्मू कश्मीर को ये अधिकार मिला है कि वो किसे अपना स्थाई निवासी माने और किसे नहीं.
- जम्मू कश्मीर सरकार उन लोगों को स्थाई निवासी मानती है जो 14 मई 1954 के पहले कश्मीर में बसे थे.
- ऐसे स्थाई निवासियों को जमीन खरीदने, रोजगार पाने और सरकारी योजनाओं में विशेष अधिकार मिले हैं.
- देश के किसी दूसरे राज्य का निवासी जम्मू-कश्मीर में जाकर स्थाई निवासी के तौर पर नहीं बस सकता.
- दूसरे राज्यों के निवासी ना कश्मीर में जमीन खरीद सकते हैं, ना राज्य सरकार उन्हें नौकरी दे सकती है.
- अगर जम्मू-कश्मीर की कोई महिला भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से शादी कर ले तो उसके अधिकार छीन लिए जाते हैं.
- उमर अब्दुल्ला की शादी भी राज्य से बाहर की महिला से हुई है, लेकिन उनके बच्चों को राज्य के सारे अधिकार हासिल हैं.
संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत ही जोड़ा गया था अनुच्छेद 35A
- अनुच्छेद 370 की वजह से जम्मू कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता है.
- अनुच्छेद 370 की वजह से जम्मू कश्मीर में अलग झंडा और अलग संविधान चलता है.
- इसकी वजह से कश्मीर में विधानसभा का कार्यकाल 6 साल का होता है, जबकि अन्य राज्यों में 5 साल का होता है.
- इसकी वजह से जम्मू-कश्मीर को लेकर कानून बनाने के अधिकार भारतीय संसद के पास बहुत सीमित हैं.
- संसद में पास कानून जम्मू कश्मीर में लागू नहीं होते जैसे ना शिक्षा का अधिकार, ना सूचना का अधिकार.
- ना तो आरक्षण मिलता है, ना ही न्यूनतम वेतन का कानून लागू होता है.
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