लोकसभा चुनाव खत्म होते ही अब बीजेपी और सुहेलदेव भारतीय समज पार्टी (सुभासपा) का नाता पूरी तरह से ख़त्म हो जाएगा. सुभासपा अध्यक्ष और योगी सरकार में मंत्री ओमप्रकाश राजभर का इस्तीफा सोमवार या मंगलवार तक मंजूर हो सकता है. बीजेपी और योगी सरकार ने राजभर से अलग होने का मन पूरी तरह से बना लिया है.
दरअसल पूरी रार लोकसभा चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर शुरू हुई थी. राजभर बीजेपी से दो सीटें मांग रहे थे. बीजेपी ने उन्हें घोसी लोकसभा सीट से उनके बेटे अरविंद राजभर को अपने टिकट पर चुनाव लड़ने का ऑफर दिया था. इस ऑफर को राजभर ने यह कहकर ठुकरा दिया था कि बीजेपी उनकी पार्टी का अस्तित्व ही खत्म करना चाहती है. इसके बाद 13 अप्रैल को राजभर ने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दिया. इसके बाद राजभर ने बीजेपी के खिलाफ 39 सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए. इतना ही नहीं जहां-जहां उसके उम्मीदवार का पर्चा खारिज हुआ वहां उन्होंने गठबंधन और कांग्रेस प्रत्याशी को समर्थन दे दिया.
इतना ही नहीं घोसी संसदीय क्षेत्र की एक सभा में तो वह भाजपा को गाली देते सुने गए और उन पर मुकदमा भी दर्ज हुआ. भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि अब तो हद हो गई. हमारा नुकसान करने के लिए राजभर के पास जितनी शक्ति लगानी थी, लगा दिए तो फिर अब क्या बचा है, पर, नेताओं के बीच अभी मंथन हो रहा है. राज्य सरकार के प्रवक्ता और स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने तो हमेशा राजभर को गठबंधन धर्म की नसीहत दी है. उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा तो शीर्ष नेतृत्व तक उन्हें लेकर गए कि गठबंधन बना रहे लेकिन, बात नहीं बनी.
डेढ़ महीने तक चले लोकसभा चुनाव के दौरान राजभर लगातार बीजेपी पर हमलावर रहे. इतना ही नहीं उन्होंने यह भा कहा कि अब उनका बीजेपी से कोई रिश्ता नहीं है और उन्होंने अपना इस्तीफा सौंप दिया है, लेकिन सरकार उसे स्वीकार नहीं कर रही है. इतना ही नहीं राजभर ने चुनाव आयोग से यह शिकायत भी की कि बीजेपी उनकी तस्वीर का उपयोग चुनावी लाभ पाने में कर रही है. उधर एक रणनीति के तहत बीजेपी ने राजभर के हमलों पर कभी कोई तीखी प्रतिक्रिया नहीं दी.
अब विधानसभा चुनाव 2022 और लोकसभा चुनाव 2024 में होना है. निकाय चुनाव में राजभर पहले ही भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिए थे और इस बार लोकसभा चुनाव में रही-सही कसर पूरी कर दी. निकट भविष्य में कोई चुनाव न होने से रणनीतिकार यही चाहते हैं कि राजभर से छुटकारा मिल जाए, क्योंकि सरकार में रहते हुए वह सरकार के खिलाफ बोलते हैं तो उन्हें सुर्खियां मिलती हैं. अगर विपक्ष में रहकर बोलेंगे तो उसकी नोटिस कम होगी. बीजेपी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि सोमवार या मंगलवार तक राजभर का इस्तीफा मंजूर किया जा सकता है.
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