संभल पर बीजेपी विधायक शलभ मणि त्रिपाठी का दावा, 2012 तक ‘हरि मंदिर’ में पूजा होती थी, सपा सरकार मे हुई बंद

Sambhal Jama Masjid Hari Mandir: यूपी के संभल की जामा मस्जिद का विवाद इस समय पूरे देश में गूंज रहा है और इस मामले पर जमकर सियासत भी हो रही है. वहीं इसी बीच भारतीय जनता पार्टी के नेता और देवरिया से विधायक डॉ शलभ मणि त्रिपाठी (Dr Shalabh Mani Tripathi) ने मंदिर को लेकर एक बड़ा दावा कर दिया है. भाजपा विधायक के मुताबिक जिस जगह पर आज जामा मस्जिद है वहां साल 2012 तक पूजा होती थी, समाजवादी पार्टी की सरकार आने के बाद पूजन बंद करवा दिया गया था.

डॉ शलभ मणि त्रिपाठी ने शुक्रवार को ट्वीट कर लिखा, “2012 यानी सपा सरकार से पहले तक हरि मंदिर पर पूजा अर्चना होती थी,शादी ब्याह के संस्कार भी होते थे,इसकी पुरानी तस्वीरें भी हैं,सपा सरकार में MP शफीकुर्रहमान बर्क़ के दबाव में पूजा अर्चना रूकवा दी गई,हरि मंदिर को पूरी तौर पर जामा मस्जिद में तब्दील कर दिया गया,सरकारी गजट से लेकर तमाम लेखों में यहां हिंदू मंदिर का ज़िक्र है,यही वजह है कि आज कुछ लोगों को सर्वे से डर लगता है !!”

बता दें कि यह कोई पहली बार नहीं है जब मस्जिद को मंदिर बताकर दावा किया गया हो, इससे पहले, साल 1966 में उत्तर प्रदेश सरकार ने मुरादाबाद जिले का गजेटियर जारी किया था, जिसमें संभल की जामा मस्जिद के मुख्य परिसर की तस्वीर को ‘हरि मंदिर’ के रूप में दर्शाया गया था.

इस सरकारी गजेटियर में बताया गया था कि संभल का पुराना नाम ‘संभलापुर’ था और यह शहर बिखरे हुए टीलों पर स्थित था. इसमें दावा किया गया कि इस क्षेत्र में इस्लामी शासन के आगमन से पहले एक किला या कोट था, जिस पर भगवान विष्णु का हरि मंदिर स्थित था, जिसे बाद में मस्जिद में बदल दिया गया.

गजेटियर में यह भी कहा गया कि पूरी संरचना एक हिंदू मंदिर के रूप में बनाई गई थी, लेकिन इसे बाबर की मस्जिद कहा जाता है. इसके अलावा, मस्जिद में एक बड़ा टैंक, फव्वारा और एक प्राचीन कुआं भी मौजूद होने की बात कही गई. साल 1873 में भी एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल की रिपोर्ट में यह दावा किया गया था कि जामा मस्जिद मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी और इसमें घंटी की जंजीर अब भी लटकी हुई है, साथ ही भक्तों के लिए परिक्रमा का रास्ता भी बना हुआ है.

मालूम हो कि हाल ही में जामा मस्जिद में कोर्ट के आदेश पर एडवोकेट कमिश्नर का सर्वे हुआ था. इस सर्वे की अगली तारीख 29 नवंबर है. सर्वे के दौरान मस्जिद कमेटी ने मस्जिद में हिंदू मंदिर के किसी भी निशान से इनकार किया है, जबकि हिंदू पक्ष लगातार मस्जिद के मंदिर होने का दावा कर रहा है. इस मुद्दे पर अब अदालत में सुनवाई होगी, जो आगामी 29 नवंबर को होगी.

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