सदन में लुकाछिपी: CM योगी संग सपा चीफ ने नए विधानसभा अध्यक्ष को खोजा, फिर हाथ पकड़कर कुर्सी तक पहुंचाया, रोचक परपंरा की देखिए तस्वीरें

मंगलवार को यानी कि आज विधानसभा में लगातार आठ बार के विधायक रहे सतीश महाना को सदन का नया अध्यक्ष घोषित कर दिया गया है. उनके नाम का औपराचिक एलान प्रोटम स्पीकर ने किया. राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अध्यक्ष के चुनाव के लिए 29 मार्च की तारीख तय की थी. नाम का ऐलान होने का बाद सदन के नेता और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, विपक्ष के नेता अखिलेश यादव और अन्य सभी दलों के नेताओं ने महाना को बधाई दी. इस दौरान एक ऐसी रस्म भी निभाई गई जिसे ब्रिटिश काल से निभाया जा रहा था. आईये आपके भी तस्वीरों के जरिए दिखाते हैं कि आखिर सदन में ऐसा क्या हुआ ?

मुस्कुराते हुए दिखे योगी और अखिलेश

जानकारी के मुताबिक, 14 अक्टूबर, 1960 को कानपुर में जन्मे सतीश महाना 1991 में पहली बार विधान सभा के सदस्य चुने गए और तब से सदन में अपनी उपस्थिति बनाए रखते हैं. आज जब प्रोटम स्पीकर ने उनके नाम की घोषणा विधानसभा अध्यक्ष के रूप में किया तो उसके बाद एक परंपरा निभाई गई.

नए विधानसभा अध्यक्ष का जब एलान हुआ तब सतीश महाना सदन में सबसे पीछे बैठे थे. जैसे ही प्रोटम स्पीकर ने महाना के नाम का एलान किया, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सपा मुखिया अखिलेश यादव अपनी-अपनी कुर्सी से उठ गए.

दोनों सतीश महाना को खोजते हुए सदन के उस तरफ बढ़े, जहां सतीश महाना बैठे थे. दोनों ने नए विधानसभा अध्यक्ष का हाथ पकड़ा और फिर अध्यक्ष के आसन के पास ले गए. विधानसभा अध्यक्ष को आसन तक पहुंचाने की इस अनोखी परंपरा को निभाते हुए सीएम योगी और सपा मुखिया अखिलेश यादव मुस्कुराते हुए दिखे.

नए विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना के साथ एक तरफ अखिलेश यादव और दूसरी तरफ सीएम योगी आदित्यनाथ।

इस दौरान सीएम के साथ डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक भी दिखे. आसन पर बैठने के बाद नए विधानसभा अध्यक्ष को बधाई देने के लिए भाजपा विधायकों और मंत्रियों के साथ-साथ सपा, आरएलडी, निषाद पार्टी और कांग्रेस के विधायक भी पहुंचे. बता दें कि ये एक ब्रिटिश परंपरा है, जिसे यहां शुरुआत से ही निभाया जाता है.

विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना

अब तक इतने नेता रहे विधानसभा अध्यक्ष

उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष के आसन पर अब तक 17 नेता बैठ चुके हैं. विधानसभा के पहले अध्यक्ष पुरुषोत्तम दास टंडन रहे. उसके बाद नफीसुल हसन,आत्मा राम गोविंद खेर, मदन मोहन वर्मा, जगदीश सरण अग्रवाल, वासुदेव सिंह, बनारसी दास, श्रीपति मिश्र, धर्म सिंह, नियाज हसन, हरिकिशन श्रीवास्तव, केशरी नाथ त्रिपाठी, धनीराम वर्मा, बरखू राम वर्मा, सुखदेव राजभर, माता प्रसाद पांडेय, हृदय नारायण दीक्षित और अब सतीश महाना। इसमें केशरी नाथ त्रिपाठी सबसे ज्यादा समय तक करीब 13 साल इस पद पर रहे.

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