बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती (Mayawati) ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र सरकार से बड़ी मांग की है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार आरक्षण में क्रीमीलेयर लागू करने और उपवर्गीकरण को लेकर दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ संसद में कानून लाकर अपनी स्थिति स्पष्ट करे। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में अनुसूचित जाति और जनजाति से जुड़े इस बेहद महत्वपूर्ण मामले पर मजबूती से पैरवी नहीं की नहीं तो इस तरह का निर्णय न होता।
मायावती ने उठाया जातीय जनगणना का भी मुद्दा
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि बेशक प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया है लेकिन खाली आश्वासन से काम नहीं चलेगा। यही नहीं, बसपा सुप्रीमो मायावती ने जातीय जनगणना का भी मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि ये केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि जातीय जनगणना करवाई जाए। बसपा पहले से ही इसके पक्ष में रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा-कांग्रेस और समाजवादी पार्टी पहले से ही एससी-एसटी वर्गों के आरक्षण के खिलाफ रही हैं।
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मायावती ने कहा कि लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस-सपा व अन्य दलों ने आरक्षण और संविधान बचाने की बात कहकर इन वर्गों का समर्थन हासिल कर लिया जिससे कि इन वर्गों की सच्ची हितैषी बसपा को नुकसान हुआ है। अब ये दल भी चुप बैठ गए हैं। इन्हें भी अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के पदों में भी लागू हो आरक्षण
बसपा चीफ ने कहा कि हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के पदों में भी आरक्षण लागू किया जाना चाहिए जिससे कि अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को इन जगहों पर हिस्सेदारी मिल सके। इस दौरान मायावती ने बीजेपी पर सरकारी नौकरियों को खत्म कर आरक्षण को कमजोर करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि एससी-एसटी वर्ग के लिए आरक्षित पदों पर भर्ती न करके भाजपा ने कांग्रेस व सपा की तरह ही इन वर्गों का नुकसान किया है।
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